पेरिस : शरणार्थियों व अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख रखने वाली दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की नेशनल रैली पार्टी को फ्रांस के संसदीय चुनाव के पहले चरण में जीत मिलने के बाद वामपंथी दलों ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पहले चरण के चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद पेन की पार्टी को सत्ता में आने से रोकने के लिए वामदलों के हजारों समर्थक, प्रवासी प्लेस डे ला रिपब्लिक पर जमा हुए और प्रदर्शन किया। रविवार को दूसरे दौर का मतदान होना है।
वाम दलों का कहना है कि वे पेन की पार्टी को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। पहले दौर के मतदान में पेन की पार्टी व सहयोगियों को 33 % वोट मिले हैं। जबकि, वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट गठबंधन को 28 % और राष्ट्रपति मैक्रों के एनसेंबल गठबंधन को 21 फीसदी वोट मिले हैं, जो तीसरे स्थान पर है।
ले पेन की जीत पर 28 वर्षीय जॉर्डन बर्डेला देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। नेशनल रैली पार्टी को मजबूत राजनीतिक दल बनाने में उनकी अहम भूमिका है।
सीएनएन रिपोर्ट के मुताबिक एग्जिट पोल में अगले रविवार को दूसरे दौर के मतदान के बाद 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में आरएन 230 से 280 सीटें जीत सकती है, जो कि पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों से कम है।वहीं वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) को 125 से 165 सीटों का अनुमान, जबकि मैंक्रों के एन्सेम्बल और उसके सहयोगी 70 से 100 सीटें जीत सकते हैं।
इस महीने की शुरुआत में छह जून को यूरोपीय संसद के लिए चुनाव हुए थे। इस दौरान फ्रांस में सबसे चौंकाने वाली राजनीतिक परिस्थितियां थीं। यहां फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ला पेन की नेशनल रैली ने मैक्रों की पार्टी को जबरदस्त झटका दिया था। इसके बाद ही राष्ट्रपति ने अंतिम नतीजे आने से पहले ही अचानक राष्ट्रीय चुनावों की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने कहा था, ‘मैंने फैसला किया है कि आप वोट के जरिए अपना संसदीय भविष्य चुने। इसलिए मैं नेशनल असेंबली भंग कर रहा हूं। धुर दक्षिणपंथी पार्टियां हर तरफ आगे बढ़ रही हैं। यह ऐसे हालात हैं, जिन्हे मैं स्वीकार नहीं कर सकता।’