नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने वाहन चोरी, चोरी के वाहन सप्लाई करने और रिसीवरों के नेटवर्क को ध्वस्त कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह को सारिक उर्फ साता दुबई, यूएई से चला रहा था।
दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह काे ध्वस्त करने के लिए मेरठ, भोगांव, संभल (उत्तर प्रदेश), कलबुर्गी, बंगलूरू (कर्नाटक), हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, पंजाब और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में कई जगह पर छापा मारा था। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश कर मोटर वाहन चोरी के कुल 10 मामले सुलझाए हैं।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त अपूर्वा गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मैनपुरी, उत्तर प्रदेश निवासी राज बाबू उर्फ़ आकिब, कोलकाता, पश्चिम बंगाल निवासी सुमित जालान, मेरठ, उत्तर प्रदेश निवासी मोहम्मद रईस उर्फ़ मुल्ला, बदायूं (यूपी) निवासी सगीर अहमद, कोलकाता, पश्चिम बंगाल निवासी शैलेंद्र शॉ उर्फ राज शॉ, कोलकाता, पश्चिम बंगाल निवासी अर्का भट्टाचार्य और जयपुर (राजस्थान) निवासी रवि कुलदीप के रूप में हुई है। पुलिस ने 10 चोरी की गई लग्जरी कारों के अलावा तस्करी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डुप्लिकेट चाबियां, नकली नंबर प्लेट और अन्य उपकरण भी बरामद की हैं।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इस गिरोह का सरगना ख्वाजा शेख हुसैन उर्फ सारिक उर्फ साता एक कुख्यात अपराधी है। वह दुबई, यूएई से अपने भतीजे आमिर पाशा के साथ गिरोह चला रहा है। सारिक लंबे समय से वाहन चोरी का रैकेट चला रहा है।
संभल, यूपी निवासी सारिक उर्फ साता के पिता मुंबई के एक इस्लामिक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। आरोपी ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की, लेकिन बुरी संगत में पड़ गया। 1996 में सारिक उर्फ साता दिल्ली आ गया और आजादपुर, दिल्ली में ट्रांसपोर्ट कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करने लगा। इस दौरान वह मोहम्मद नूर के संपर्क में आया और घरों में चोरी, डकैती और माल से भरे ट्रकों की चोरी में शामिल होने लगा।
ख्वाजा शेख हुसैन उर्फ शारिक उर्फ साता एक कुख्यात अपराधी है, जिसका लंबा आपराधिक इतिहास है और उसके खिलाफ एनएसए उल्लंघन, डकैती, शस्त्र अधिनियम, गैंगस्टर अधिनियम, एफआईसीएन (नकली भारतीय मुद्रा नोट), दंगा, हत्या का प्रयास, धोखाधड़ी और वाहन चोरी सहित 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
सारिक आर्थिक आतंकवाद का हिस्सा रहा है। अपनी निरंतर गैरकानूनी गतिविधियों के माध्यम से वह न केवल चोरी के वाहनों के कारोबार के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा बल्कि अपने साथियों के साथ मिलकर अवैध रूप से बड़ी मात्रा में धन और काला धन अर्जित करने में लगा हुआ था।
पत्रकार की ट्रेनिंग ले चुका है.
1997 से 2000 के बीच उसने ग्रेटर कैलाश, दिल्ली में एक सुरक्षा एजेंसी में फील्ड ऑफिसर के रूप में और जहांगीर पुरी से प्रकाशित एक स्थानीय साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रशिक्षु प्रेस रिपोर्टर के रूप में काम किया। 1999 में उसे पीएस सैदनगली, मुरादाबाद (यूपी) के तहत डकैती के मामले में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला भी दर्ज किया गया था।