नई दिल्ली : पाकिस्तान से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां पर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर आयोजित विरोध मार्च में हताहतों के दावों की जांच कर रहे एक पाकिस्तानी पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया।
पत्रकार के साथ उसके सहयोगी को भी गिरफ्तार करने की सूचना है। सबसे हैरान करने वाली बात है कि दोनों पर आतंकवाद का आरोप लगाया गया। इस बात की जानकारी उन दोनों के वकील ने दी है।
बता दें कि पत्रकार मतिउल्लाह जान पाकिस्तान में एक टीवी शो को होस्ट करते हैं। वह पाकिस्तानी राजनीति में सेना के भारी प्रभाव के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। गिरफ्तारी से कुछ घंटों पहले ही उन्होंने पर एक शो होस्ट किया था, जिसमें उन्होंने अस्पताल के रिकॉर्ड पढ़े थे, जो सरकार के इस इनकार का खंडन करते हैं कि सुरक्षा बलों द्वारा विरोध प्रदर्शन को तितर-बितर करने के दौरान गोलियों का इस्तेमाल किया गया था या कोई भी प्रदर्शनकारी मारा गया था।
मतिउल्लाह जान के सहयोगी साकिब बशीर को भी उठा लिया गया था। साकिब ने गुरुवार को बताया कि दोनों को इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) की पार्किंग से काली वर्दी पहने लोगों ने उठा लिया था। आगे उन्होंने बताया कि उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई और उन्हें एक कार में डाल दिया गया। साकिब बशीर का कहना है कि वे हताहतों के बारे में डेटा एकत्र कर रहे थे। हालांकि बशीर को तीन घंटे बाद एक सड़क पर छोड़ दिया गया।
बता दें कि पत्रकार मतिउल्लाह जान के सहयोगी बशीर को तीन घंटे बाद एक गली में छोड़ दिया गया। जान के बेटे अब्द-उ-रज़ाक ने एक वीडियो बनाया और इस बात की पुष्टी की है। उन्होंने इस वीडियो में अधिकारियों से अपने पिता को रिहा करने की मांग की है। पूरे मामले में जान के वकील इमान मज़ारी ने कहा कि उन पर आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और पुलिस पर हमला करने का आरोप लगाया गया है। इन आरोपों में ज़रा भी सच्चाई नहीं है।
पत्रकार मतिउल्लाह जान के सहयोगी बशीर ने कहा कि जान के परिवार को गुरुवार सुबह पुलिस लॉक-अप में उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी। बशीर ने बताया कि टिप्पणी के अनुरोध पर न तो इस्लामाबाद पुलिस और न ही सूचना मंत्रालय ने कोई जवाब दिया। अपनी टीवी रिपोर्ट में पत्रकार जान ने इस दावे पर भी संदेह जताया है कि प्रदर्शनकारियों के काफिले में एक वाहन द्वारा कुचले जाने के बाद कुछ सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि इमरान की पार्टी पीटीआई के समर्थकों ने रविवार को इस्लामाबाद पर धावा बोला था। पीटीआई समर्थक अपने नेता की रिहाई की मांग कर रहे थे। इस दौरान चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। इस प्रदर्शन के बाद पीटीआई ने दावा किया था कि सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गोली मारी गई और आठ से 40 लोग मारे गए। वहीं, पाकिस्तान में पत्रकारों की सुरक्षा समिति ने जान के साथ हुए ऐसे व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। इसी के साथ उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है।