नई दिल्ली/पेरिस-NewsXpoz : फ्रांस में रविवार को संसदीय चुनाव के दूसरे चरण के लिए वोटिंग हुई। चुनाव संपन्न होने के बाद मतगणना जारी है। शुरुआती रुझानों के सामने आते ही पूरे देश में हिंसा भड़क उठी। दरअसल, रुझानों में वामपंथी गठबंधन आगे निकल गया है। वहीं, फ्रांस की पहली कट्टर दक्षिणपंथी सरकार बनाने की मरीन ली पेन के सपने को झटका लगा है। ऐसे में यहां नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने दंगा भड़का दिया। यहां प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर भागते, आग जलाते और उपद्रव करते हुए देखा गया। इन दंगों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में दंगा रोधी पुलिस की तैनाती की गई है।
इसलिए मध्यावधि में हुए चुनाव : गौरतलब है, फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को अपनी पार्टी रेनेसां की बड़ी हार के बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने समय पूर्व संसद भंग कर बड़ा जोखिम लिया है। 30 जून को पहले दौर के चुनाव में मरीन ली पेन की नेशनल रैली को अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली थी। उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा 35.15 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 27.99 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे नंबर पर वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) गठबंधन रहा। मैक्रों की रेनेसां पार्टी सिर्फ 20.76 फीसदी वोट हासिल कर सकी। दूसरे दौर के लिए सिर्फ वही प्रत्याशी मैदान में हैं, जिन्हें पहले चरण में 12.5 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं।
देश में हिंसा भड़की : देश में भड़की हिंसा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में नकाबपोश प्रदर्शनकारी को सड़कों पर दौड़ते, आग जलाते, उपद्रव करते और शहर में अशांति फैलाते हुए देखा जा सकता है। इन लोगों को तितर-बितर करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भी मौजूद रही।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव परिणामों ने फ्रांसीसी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा। यहां उस समय सियासी उथल-पुथल मच गई, जब वामपंथी गठबंधन बहुमत का दावा करने के लिए तैयार था। इससे पेरिस में जश्न और हिंसा का मिलाजुला माहौल देखने को मिला।
एनएफपी को सबसे ज्यादा बहुमत : चुनाव बाद आए शुरुआती रुझानों में एनएफपी को सबसे ज्यादा बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया। वहीं, इमैनुअल मैक्रों की सत्तारूढ़ पार्टी दूसरे और दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे स्थान पर रह सकती है। चुनावी रुझानों के बाद प्रधानमंत्री अट्टल ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि यदि उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया जाता है तो वह अपना उत्तराधिकारी नियुक्त होने तक अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए पद पर बने रहेंगे, क्योंकि पेरिस ओलंपिक 26 जुलाई से शुरू होने वाले हैं।
इसलिए जुटे लोग : इस खबर की खुशी में हजारों लोग पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक में एकत्र हुए, जिससे प्रधानमंत्री इमैनुएल मैक्रों के मध्यमार्गी गुट, जिसे दूसरा स्थान मिला था, के मुकाबले गठबंधन को मिले व्यापक समर्थन का पता चला। वहीं, इस उलटफेर से कंजर्वेटिव हैरान रह गए क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि मरीन ले पेन की नेशनल रैली सत्ता पर कब्जा कर लेगी।
आंसू गैस के गोले छोड़े : गुस्साए लोग पेरिस की सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं पुलिस अधिकारी भीड़ को नियंत्रित करने में जुटे। इतना ही नहीं अधिकारियों ने झड़पों के बीच आंसू गैस के गोले भी छोड़े। प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर मोलोटोव कॉकटेल फेंके और धुआं करने के लिए पटाखे फोड़े।
कौन हैं वामपंथी के सदस्य दल : पॉपुलर फ्रंट के नाम से प्रसिद्ध वामपंथी गठबंधन में फ्रांस की सोशलिस्ट पार्टी, फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी, इकोलॉजिस्ट और फ्रांस अनबोव्ड शामिल हैं। गठबंधन ने मतदाताओं को लुभाने के लिए मैक्रों की पेंशन सुधार योजना में बदलाव और 60 साल की उम्र पर सेवानिवृत्त करना शामिल है। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के वेतन में वृद्धि, धन कर को बहाल करना और फ्रांस के न्यूनतम वेतन में वृद्धि की योजनाएं शामिल हैं।