नई दिल्ली : गूगल की हाल ही में लागू की गई फिंगरप्रिंटिंग-बेस्ड ट्रैकिंग पॉलिसी विवादों में घिर गई है। दुनियाभर के प्राइवेसी एक्सपर्ट्स और कंज्यूमर राइट्स प्रोटेक्शन फर्म्स ने इस नए सिस्टम की आलोचना की है। इसमें यूजर्स के पास इस तरह की डिवाइस ट्रैकिंग को बंद करने का कोई विकल्प नहीं है। गूगल ने इसे अपनी डेटा कलेक्शन सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम बताया है, लेकिन इससे यूजर्स की पर्सनल इंफॉर्मेशन और ट्रांसपेरेंसी को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ गई हैं।
फिंगरप्रिंटिंग एक एडवांस ट्रैकिंग तकनीक है, जो यूजर के डिवाइस से जुड़े अनोखे डेटा पॉइंट्स को इकट्ठा करती है। इसमें स्क्रीन रेजोल्यूशन, इंस्टॉल किए गए फॉन्ट्स, ऑपरेटिंग सिस्टम, आईपी एड्रेस और ब्राउजर सेटिंग्स जैसी जानकारियां शामिल होती हैं।
इसका उपयोग यूजर की डिजिटल पहचान (फिंगरप्रिंट) बनाने के लिए किया जाता है, जिससे गूगल किसी व्यक्ति को विभिन्न डिवाइस और ब्राउजर्स पर ट्रैक कर सकता है। यह पारंपरिक कुकीज-आधारित ट्रैकिंग से अधिक प्रभावी है क्योंकि इसे आसानी से हटाया या ब्लॉक नहीं किया जा सकता।
गूगल का कहना है कि फिंगरप्रिंटिंग सिक्योरिटी को बेहतर बनाने के लिए उपयोगी है। यह फ्रॉड एक्टिविटी को पहचानने, अनऑथराइज्ड लॉगिन को रोकने और एड टार्गेटिंग को अधिक सटीक बनाने में मदद करता है।
गूगल ने हाल ही में थर्ड-पार्टी कुकीज को खत्म करने का ऐलान किया था और इसके स्थान पर नए Privacy Sandbox फीचर को पेश कर रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह यूजर की प्राइवेसी के लिए फायदेमंद नहीं है, बल्कि इसे और अधिक कमजोर बना सकता है।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि यूजर्स को इसे बंद करने का कोई ऑप्शन नहीं दिया गया है। इससे गूगल आसानी से किसी व्यक्ति की सर्च हिस्ट्री, डिवाइस एक्टिविटी और ब्राउजिंग पैटर्न को ट्रैक कर सकता है। गूगल के अनुसार, यह डेटा सिर्फ सिक्योरिटी और एडवरटाइजिंग के लिए उपयोग किया जाएगा, लेकिन प्राइवेसी एक्सपर्ट्स को डर है कि इसका अन्य उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग हो सकता है।