मैसूर : कर्नाटक के उदयगिरी पुलिस स्टेशन में हिंसा के खिलाफ कई स्थानीय संगठनों ने व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया। विभिन्न संगठनों के आक्रोश, लोगों के बढ़ रहे गुस्से और सोमवार को प्रस्तावित विरोध-प्रदर्शनों की आशंका के मद्देनजर मैसूर शहर में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
मैसूर जिला प्रशासन ने उदयगिरी थाने में हिंसक घटना से संबंधित बैठकों, सम्मेलनों, रैलियों और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। मैसूर पुलिस आयुक्त सीमा लाटकर ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
बता दें कि मैसूर की राष्ट्र सुरक्षा जनांदोलन समिति ने सोमवार को जेएसएस विद्यापीठ गनहाउस से कोटे अंजनेयस्वामी मंदिर तक ‘मैसूर चलो’ रैली आयोजित करने का एलान किया है। रैली का मकसद 10 फरवरी को उदयगिरी पुलिस स्टेशन में हुई हिंसा की निंदा करना बताया गया।
इस घोषणा के बाद मैसूर पुलिस आयुक्त सीमा लाटकर ने निषेधाज्ञा का आदेश जारी किया। लाटकर ने अपने आदेश में कहा कि यदि उदयगिरी पुलिस स्टेशन के क्षेत्राधिकार में हिंसा से संबंधित कोई भी घटना होती है तो, सांप्रदायिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
इस संबंध में एक भाजपा पदाधिकारी ने बताया कि रैली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र, कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष आर अशोक और राज्य के कई शीर्ष भाजपा नेता भाग ले रहे हैं।
प्रदेश की दलित महासभा और मैसूर जिला युवा कांग्रेस कमेटी ने भी ऐसे ही प्रदर्शन की घोषणा की है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा उदयगिरी थाना क्षेत्र में हुई घटना के संबंध में मुस्लिम समुदाय को “खलनायक” बताने का प्रयास कर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पूरा बवाल दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तस्वीरों से छेड़छाड़ के बाद शुरू हुआ। खबरों के मुताबिक तीनों नेताओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर अरबी लिपी में कुछ बातें लिखी गई। इससे मुस्लिम भावनाओं को ठेस पहुंची।
आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले इस कथित सोशल मीडिया पोस्ट के बाद मैसूर में तनाव बढ़ गया। मुस्लिम धार्मिक नेताओं के खिलाफ भी अभद्र टिप्पणी के आरोप लगे हैं।
सोशल मीडिया पर आए वीडियो में देखा जा सकता है कि आक्रोशित भीड़ ने उदयगिरी में पुलिस के वाहनों पर भी जमकर पथराव किया। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा।
आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और मृत्युदंड की मांग कर रहे लोगों ने जमकर धार्मिक नारे भी लगाए। इस मामले में सहायक पुलिस महानिदेशक आर हितेंद्र ने बताया कि भीड़ को किसी ने गलत सूचना दी जिसके बाद हिंसा भड़क गई। आरोपियों को कम से कम सजा की अफवाह फैलने के बाद भीड़ उग्र हो गई। पथराव में सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। हालांकि, भीड़ में शामिल लोगों का कहना था कि पुलिस उसे उनके हवाले कर दे। उन्हें इस बात का डर है कि आरोपी को अदालत से जमानत मिल जाएगी।
पूरे प्रकरण पर प्रदेश के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि करीब 200 लोग थाने में हंगामा करने आए थे। उपद्रवियों के खिलाफ पुलिस कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई करेगी। एडीजीपी कानून-व्यवस्था इस मामले को देख रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के एक्स हैंडल पर जारी एक वीडियो के साथ लिखा गया कि कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक को दंगाइयों के हवाले कर दिया है। हालांकि, सहकारिता मंत्री राजन्ना ने हैरान करने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा, पुलिस की मानसिकता समझ से परे है।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया नीत सरकार में मंत्री राजन्ना के मुताबिक पुलिस ने आरएसएस के सदस्य को कुछ ऐसा करने के लिए गिरफ्तार किया है, जो कानून के खिलाफ है। भले ही गिरफ्तारी कानून के तहत हुई हो, लेकिन इन पुलिसकर्मियों के पास सामान्य ज्ञान है या नहीं, उन्हें नहीं पता।
उन्होंने कहा कि उदयगिरी मुस्लिम बहुल इलाका है, ऐसे में आरोपियों को इस थाने में रखना नासमझी थी। राजन्ना ने कहा कि प्रशासन केवल मंत्रियों से नहीं चलता नौकरशाहों को भी बुनियादी समझ के आधार पर अपना दिमाग चलाना चाहिए। जो कुछ भी हुआ उसके लिए पुलिस जिम्मेदार है।