नई दिल्ली : बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कई तरह की खबरें आ रहीं हैं. इसमें से एक खालिदा जिया को लेकर है. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा है कि प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का भी आदेश जारी कर दिया.
वह कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से घर में नजरबंद थीं. शहाबुद्दीन ने संसद को भंग करने के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन करने करने की भी घोषणा की है. जानें खालिदा जिया के जेल से बाहर आने के क्या मायने हैं.
1996 के आम चुनाव पर गौर करें तो इसके अगले दौर में, अवामी लीग सत्ता में आई. हालांकि, 2001 में खालिदा जिया की पार्टी ने फिर वापसी करने में सफलता पाई और सरकार बना ली. खालिदा जिया 1991, 1996 के अलावा 2001 के आम चुनावों में 5 अलग-अलग संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से चुनी गईं. 1980 के दशक से ही, जिया की मुख्य प्रतिद्वंद्वी अवामी लीग की नेता शेख हसीना रही हैं जो भारत के प्रति नरम रुख रखतीं हैं. 1991 के बाद से, खालिदा जिया और शेख हसीना बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने वालीं दो नेता रहीं हैं.
शेख हसीना की कट्टर दुश्मन मानीं जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं. साल 1991 में खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उनका राजनीतिक जीवन का उदय हुआ. खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 2018 में जेल भेज दिया गया था. फिलहाल खालिदा अस्वस्थ हैं. उनके अस्पताल में इलाज कराने की खबर है.