नई दिल्ली : हिंदू धर्म में जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन लोग व्रत रखकर पूजा-पाठ करते हैं और कान्हा के जन्म का उत्सव मनाते हैं। इसी के साथ ही जन्माष्टमी पर मंदिर से लेकर घरों में लड्डू गोपाल की भव्य झाँकियां तैयार की जाती हैं।
जन्माष्टमी को किसी त्योहार के रूप में नहीं बल्कि उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जो हमारे जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। जन्माष्टमी पर झांकी सजाने का उद्देश्य केवल नियम मात्र नहीं होता, बल्कि इसके कई लाभ भी हैं। आइए जानते हैं जन्माष्टमी पर झांकी सजाने के नियम और उससे जुड़े लाभ के बारे में।
- जन्माष्टमी पर मोर पंख से झांकी सजाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आप मोरपंख को कान्हा के मुकुट या झूले आदि पर सजा सकते हैं। मोर पंख कृष्ण की प्रिय वस्तुओं में एक है।
- भाग्योदय या भाग्य में वृद्धि के लिए जन्माष्टमी पर झांकी में गाय और बछड़े की मूर्ति या तस्वीरें भी रखें। साथ ही झांकी तैयार करने के लिए वैजयंती फूलों का भी प्रयोग करें। इन चीजों से कान्हा को अत्यधिक लगाव है।
- जन्माष्टमी पर झांकी तैयार करने में श्रीकृष्ण के प्रिय वस्तुओं का प्रयोग करना सबसे अच्छा होता है। इसलिए आप बांसुरी का प्रयोग जरूर करें।
- आप झूले या मूर्ति के पास बांसुरी जरूर रखें। इससे घर पर सुख-शांति बनी रहती है और सभी परेशानियों का नाश होता है।
- झांकी सजाने के लिए सजावटी सामग्रियों में टूटी-फूटी वस्तुओं का प्रयोग न करें।
- कांटेदार पौधे, फूल या पत्तों के स्थान पर वैयजंती के फूल, अशोक के पत्ते, आम के पल्लव, केले के खंभे आदि का प्रयोग करें।
- रबर प्लांट या श्वेतार्क जैसे पौधों जिनसे दूध निकलता हो, उनका प्रयोग भी झांकी सजाने के लिए न करें।
- घर के दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में झांकी सजाने से बचना चाहिए।
- कान्हा की झांकी सजाने के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे अच्छा और शुभ माना जाता है।