महाशिवरात्रि विशेष : भुईंफोड़ मंदिर में करीब 200 वर्ष पहले भूमि की गर्भ से प्रकट हुए थे महादेव

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धनबाद-NewsXpoz अमन्य सुरेश (8340184438) : झारखंड में वर्तमान धनबाद रेलवे स्टेशन से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर करीब 200 वर्ष पूर्व एक पहाड़ की तलहटी में जमीन के गर्भ से शिवलिंग प्रकट हुआ। उस वक्त भारत में मुगलों का शासन था। अंग्रेजों की मौजूदगी का भी प्रमाण मिलता है। इस स्थान को भुईंफोड़ के नाम से जाना जाता है। जहां पहाड़ी की तलहटी में भगवान शिव विराजे हुए है।

महाशिवरात्रि विशेष : भुईंफोड़ मंदिर में करीब 200 वर्ष पहले भूमि की गर्भ से प्रकट हुए थे महादेव👉👉 newsxpoz.com/maha-shivrat…झारखंड में वर्तमान धनबाद रेलवे स्टेशन से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर करीब 200 वर्ष पूर्व एक पहाड़ की तलहटी में जमीन के गर्भ से शिवलिंग प्रकट हुआ। उस वक्त भारत में मुगलों का शासन था। अंग्रेजों की मौजूदगी का भी प्रमाण मिलता है। इस स्थान को भुईंफोड़ के नाम से जाना जाता है।

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मान्यता यह है कि करीब 200 वर्ष पूर्व भूमि को चीरकर महादेव की शिवलिंग प्रकट हुई थी। उस समय भुईंफोड़ पहाड़ और आसपास के इलाके पूरी तरह जंगल क्षेत्र था। इसी पहाड़ की तलहटी में महादेव प्रकट हुए, जिसके बाद स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया। तत्कालीन धनबाद पश्चिम बंगाल का हिस्सा हुआ करता था। धनबाद के कई इलाकों में झरिया महाराजा का साम्राज्य था।

भुईंफोड़ पहाड़ की तलहटी में स्थित है शिव मंदिर : धनबाद स्टेशन से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भुईंफोड़ शिव मंदिर। जहां भुईंफोड़ पहाड़ी की तलहटी में भगवान शिव विराजे हुए है। मान्यता यह है कि भूमि को चीरकर करीब 200 वर्ष पूर्व पहले शिवलिंग प्रकट हुई थी। जिसके बाद तत्कालीन झरिया महाराजा को एक सपना आया। जिसमे भुईंफोड़ में शिवलिंग होने की जानकारी मिली। इसके उपरांत महाराजा भुईंफोड़ स्थित उक्त शिवलिंग के पास पहुंचे और श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से  भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर उन्हें स्थापित कराया।

इस वजह से कहा गया भुईंफोड़ : बताया जाता है कि भूमि को फोड़कर प्रकट हुए शिवलिंग की वजह से उक्त स्थान का नाम भुईंफोड़ मंदिर पड़ गया। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव से उक्त स्थान पर श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं, तो वह अवश्य पूरी होती है।

शिवलिंग के पास मंदिर प्रांगण में आया शेर : कहा जाता है कि मंदिर के परिसर में जंगलों से होता हुआ एक शेर पहुंच गया और वहां स्थित एक कुएं में गिर पड़ा। जिसे स्थानीय लोगों ने दूसरे दिन सुबह देखा। इसे लोगों ने मां दुर्गा का संदेश समझा और उक्त मंदिर में माता दुर्गा की प्रतिमा भी विधि-विधान से स्थापित की गई। जिसके बाद भक्त दुर्गापूजा के अवसर पर भी भारी संख्या में भी मंदिर प्रांगण पहुंचने लगे।

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आते हैं हजारों श्रद्धालु : मंदिर के पुजारी स्वामी प्रयाग आत्मानंद जी महाराज बताते हैं कि महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। इस दौरान मंदिर परिसर की व्यवस्था को संभालने के लिए जिला प्रशासन, स्थानीय वॉलिंटियर समेत कई ग्रामीणों की मौजूदगी रहती है।

महाशिवरात्रि पर होगी विशेष पूजा-अर्चना : भुईंफोड़ मंदिर के पुजारी बताते हैं कि महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर मंदिर परिसर में रात भर पूजा-अर्चना होगी। वही शाम को महादेव का विशेष श्रृंगार और पूजा आरती भी प्रत्येक वर्ष की भांति होगी। महाशिवरात्रि के अवसर पर 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।

मुग़ल-अंग्रेज भी पहुंचते थे मन्नत मांगने : अंग्रेज और मुगल भी भुईंफोड़ शिव मंदिर की महिमा का बखान करते नहीं थकते। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि भूमि फाड़कर प्रकट हुए शिवलिंग की महिमा इतनी अधिक है कि पूर्व में तत्कालीन मुगल शासक के कई नुमाइंदे और अंग्रेज अधिकारी भी मंदिर में शिवलिंग पर पूजा अर्चना करने पहुंचते थे।