नई दिल्ली : बंगाल में, महालय (बंगाली: মহালয়া) आमतौर पर दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा, हिन्दू पंचांग माह आश्विन(सितंबर और अक्टूबर) के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत महालय से होती है।
महालय वह दिन है जब माना जाता है कि देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। बंगाली लोग पारंपरिक रूप से देवीमाहात्म्य (चंडी) ग्रंथ से भजन सुनाने के लिए महालय पर सुबह जल्दी उठते हैं। हर बंगाली घराना महिषासुरमर्दिनी के नाम से जाने जाने वाले गीतों और मंत्रों के संग्रह को सुनने के लिए भोर में उठता है, जो देवी दुर्गा के जन्म और राक्षस राजा महिषासुर पर अंतिम विजय का वर्णन करता है। पूर्वजों को प्रसाद घरों और पूजा मंडपों (अस्थायी मंदिरों) में दिया जाता है।
महालया बुधवार को है. मां दुर्गा का आह्वान कर गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो जायेगा. पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जायेगी. शिल्पांचल व इसके आसपास के इलाके में दुर्गापूजा को लेकर चहल-पहल बढ़ गयी है. पूजा को लेकर शहर में पूजा सामग्री की दुकानो में पूजा के लिए मिट्टी के कलश, माता की चुनरी, मोती की माला, नारियल एवं अन्य पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ देखी गयी.
नवरात्र का त्योहार मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की श्रद्धालु ,भक्ति भाव से पूजा आराधना करेंगे. इससे पहले बुधवार की सुबह रेडियो पर महालया सुनने की परंपरा रही है. महालया में प्रातः वीरेंद्र कृष्ण भद्र की आवाज में रेडियो पर चंडी पाठ सुनना एक परंपरा बन गयी है. लेकिन बीते कई वर्षों से लोग रेडियो के बदले टीवी और मोबाइल पर महालया के दिन यह पाठ सुन रहे हैं. जागो मां तुमी जागो, की आवाज से पूरा इलाका गुंजायमान होगा.