ISRO : चांद के पर्यावरण में है उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर रेडियो ने भेजे संकेत

Moon-Radio

बेंगलूरू : इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर रेडियो ने चांद के वातावरण में उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व का संकेत दिया है। यह दिखाता है कि प्लाज्मा डायनेमिक को आकार देने में चांद के क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र की भूमिका हो सकती है। इसरो के मुताबिक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (एसपीएल-वीएसएससी) की स्पेस लैब के वैज्ञानिकों ने एक प्रमुख खोज में चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से मिले रेडियो संकेतों का विश्लेषण किया।

वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑर्बिटर अच्छी स्थिति में है और डाटा भेज रहा है। उन्होंने अध्ययन में पाया कि चंद्रमा का आयनमंडल पृथ्वी की भू-चुंबकीय टेल में प्रवेश करते वक्त अप्रत्याशित रूप से उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व दिखाता है। चन्द्रमा के वातावरण में प्रति घन सेंटीमीटर 23,000 इलेक्ट्रॉन हैं। इसरो ने कहा कि इस खोज से नई जानकारी मिलती है कि चंद्रमा के वातावरण में प्लाज्मा किस प्रकार व्यवहार करता है। 

यह सुझाव देती है कि चंद्रमा के अवशिष्ट चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव पहले की अपेक्षा कहीं अधिक मजबूत है। वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के चारों ओर प्लाज्मा वितरण का अध्ययन करने के लिए एक नई विधि का इस्तेमाल किया। उन्होंने दो-तरफा रेडियो ऑकल्टेशन प्रयोग में एस-बैंड टेलीमेट्री और टेलीकमांड (टीटीसी) रेडियो सिग्नल का उपयोग करके प्रयोग किए, चंद्रमा की प्लाज़्मा परत के माध्यम से सीएच-2 के रेडियो प्रसारण को ट्रैक किया।

 इसरो नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) के लिए एक एलओएक्स-मीथेन इंजन और स्टेज विकसित कर रहा है। जिसमें एक दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाली बूस्टर स्टेज और दो एक्सपेंडेबल अपर स्टेज होंगी। एलओएक्स-मीथेन इंजन एक रॉकेट इंजन है जो ऑक्सीडाइजर के रूप में तरल ऑक्सीजन और ईंधन के रूप में मीथेन का इस्तेमाल करता है। इसरो ने कहा कि बूस्टर स्टेज रिकवरी और इस मिशन के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए अपर स्टेज को बार बार शुरू करना होगा।