नई दिल्ली : इस साल लॉन्च होने वाले नासा और इसरो का नया पृथ्वी उपग्रह नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) से प्राप्त डेटा न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के किसानों के लिए उपयोगी होगा। इससे प्राप्त आंकड़ों का उपयोग फसलों की वृद्धि को ट्रैक करने, पौधों के स्वास्थ्य पर नजर रखने और मिट्टी की नमी की निगरानी के लिए किया जाएगा। यह जानकारी इसरो विज्ञान टीम के हवाले से एक रिपोर्ट में दी गई है।
यह मिशन रोपाई से लेकर कटाई तक फसलों की वृद्धि पर नजर रखेगा, जिससे सही समय पर बुवाई, सिंचाई और अन्य कृषि कार्यों के बारे में जानकारी मिलेगी। सिंथेटिक अपर्चर रडार तकनीक की मदद से निसार उपग्रह फसलों की विशेषताओं, पौधों में मौजूद नमी की मात्रा और उनकी मिट्टी की स्थिति की पहचान करेगा।
यह छोटे खेतों से लेकर बड़े कृषि क्षेत्रों तक व्यापक रूप से डेटा प्रदान करेगा जिससे कृषि भूमि का समग्र विश्लेषण संभव होगा। इसके अलावा यह उपग्रह हर मौसम में काम करेगा, जिसकी वजह से यह किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।
निसार उपग्रह हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की लगभग पूरी भूमि की तस्वीर लेगा। यह 10 मीटर तक के छोटे भूखंडों की निगरानी करने में सक्षम होगा। यह नीति निर्माताओं और कृषि अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करेगा, जैसे कि धान की रोपाई का समय, पौधों की ऊंचाई और खेतों की नमी का स्तर। इसके अलावा यह भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले और बाद में पृथ्वी की सतह के लचीलेपन को देखेगा। यह ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की गति पर नजर रखेगा तथा जंगलों की वृद्धि और पेड़ों के काटे जाने सहित पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले बदलावों पर भी नजर रखेगा।
उपग्रह को भारत के दक्षिण-पूर्वी तट स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। एक बार सक्रिय होने के बाद यह प्रति दिन लगभग 80 टेराबाइट डाटा प्रदान करेगा, जो कृषि समेत कई क्षेत्रों में शोधकर्ताओं और किसानों के लिए फायदेमंद होगा।
बता दें कि निसार दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी (एल और एस बैंड) का उपयोग करने वाला पहला उपग्रह होगा। यह तकनीक इसे एकल फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों की तुलना में अधिक विस्तृत और सटीक डाटा प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।
साथ ही इससे रडार डाटा का विश्लेषण करके फसलों की पहचान करने और उनके उत्पादन का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। यह उपग्रह पोलरिमेट्री तकनीक का उपयोग करेगा। इससे मिट्टी और पौधों में पानी की मात्रा का भी अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।
गीली मिट्टी सूखी मिट्टी की तुलना में अधिक रेडार सिग्नल परावर्तित करती है, जिससे सिंचाई के सही समय और पानी की उपलब्धता की सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसकी उन्नत रडार तकनीक मौसम और बादलों की बाधाओं को पार करते हुए हर मौसम में काम करेगी। यह मिशन कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने और किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।