प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावितों के प्रति जताई संवेदना : पीएम मोदी

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नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस पर इस बार 11 श्रेणियों के तहत 18 हजार मेहमान आकर्षण का केंद्र हैं। खास बात यह है कि इनमें से 6 हजार खास मेहमान महिला, किसान, युवा और गरीब वर्ग के हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से देश को विकास का संदेश दे रहे हैं और उन्होंने 2047 तक देश को विकसित बनाने लिए अपना विजन जनता के सामने रखा।

2047 सिर्फ शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। लोगों को सुझाव लिए जा रहे हैं। इसके लिए लोगों ने अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, शहर में रहने वाले, किसान, आदिवासी, दलित, महिलाएं, हर किसी ने 2047 में जब देश विकसित भारत की आजादी का पर्व मनाएगा तो हर व्यक्ति का उसमें योग्यता होगा। किसी ने स्किल कैपिटल बनाने का सुझाव रखा, किसी ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का, किसी ने विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर बनाने का सुझाव दिया। हमारा स्किल युवा दुनिया की पहली पसंद बनना चाहिए।

प्यारे देशवासियों इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं में अनेक लोगों ने अपने परिवारों को खोया है। संपत्ति खोई है। राष्ट्र निधि का नुकसान हुआ है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि देश इस संकट की घड़ी में उन सबके साथ खड़ा है। मेरे प्यारे देशवासियों हम जरा आजादी के पहले के उन दिनों को याद करें। सैकड़ो साल की गुलामी। हर कालखंड संघर्ष का रहा है।

महिला हो, युवा हो, आदिवासी हो, वे सब गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व ही हमारे कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जाती रही थी। आजादी की जंग इतनी लंबी थी। अपरंपार यातनाएं, जुल्मी शासन सामान्य मानवी का विश्वास तोड़ने की तरकीबें, फिर भी उस समय की संख्या के करीब 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्बा दिखाया, वो सामर्थ्य दिखाया। एक संकल्प लेकर चलते रहे, एक सपना लेकर चलते रहे। जूझते रहे।

एक ही सपना था वंदे मातरम, एक ही सपना था देश की आजादी का। हमें गर्व है कि हम उन्हीं के वंशज हैं। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महान सत्ता को उखाड़ फेंका था। अगर हमारे पूर्वज जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, आजादी लेकर के रह सकते हैं तो 140 करोड़ मेरे नागरिक, मेरे परिवारजन अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित कर चल सकते हैं, कदम से कदम मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर, तो चुनौतियां कितना ही क्यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तो भी हम स्मृद्धि पा सकते हैं। हम 2047 तक विकसित भारत बना सकते हैं।

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