नई दिल्ली : बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ शुक्रवार को फिर से प्रदर्शन शुरू हो गए. जुलाई में नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान 200 से ज्यादा लोगों की मौत के लिए इंसाफ की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में दो हजार से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए, जिनमें से कुछ लोग ‘तानाशाह मुर्दाबाद’ और पीड़ितों के लिए इंसाफ के नारे लगा रहे थे, जबकि पुलिस अधिकारी उनके चारों ओर घेरा बनाकर खड़े थे.
ढाका के उत्तरा इलाके में पुलिस और दर्जनों छात्रों के बीच झड़प हुई, जबकि सुरक्षा अधिकारियों ने पत्थरबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड दागे. हालांकि इस झड़प में किसी के मरने की खबर नहीं है. हालात को देखते हुए देश में तमाम यूनिवर्सिटीज के बाहर अब भी सुरक्षाबल तैनात हैं और आंदोलन को लीड कर रहे लोगों की गिरफ्तारी जारी है.
प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पिछले महीने से छात्रों के प्रदर्शनों का सामना कर रही है और फिलहाल इन प्रदर्शनों के मंद पड़ने का कोई संकेत नहीं है. पंद्रह जुलाई को हिंसा भड़कने के बाद से, शेख हसीना के लिए विरोध-प्रदर्शन बड़ा संकट बन गए हैं. हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए अधिकारियों ने इंटरनेट बंद कर दिया है और देखते ही गोली मारने का आदेश देते हुए कर्फ्यू लगा दिया है. स्कूल और विश्वविद्यालय बंद हैं.
बताते चलें कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल रहे लोगों के परिवारों को बांग्लादेश में 30 प्रतिशत तक आरक्षण मिलता था. इस आरक्षण को खत्म करने की मांग को लेकर पिछले देशभर में हजारों स्टूडेंट्स सड़कों पर उतर आए थे. उनका कहना था कि इस आरक्षण को खत्म किया जाए.
इस आरक्षण की वजह से सरकारी संस्थाओं और नौकरियों में भर्ती के लिए मौके उनके लिए कम हो जाते हैं. वहीं हसीना सरकार इसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान जताते हुए जारी रखने के पक्ष में थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यह आरक्षण 30 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया, जिसके बाद आंदोलन की आंच धीमी पड़ी थी.