रांची-NewsXpoz : झारखंड की राजधानी रांची में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान को पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध न कराने पर झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि राज्य सरकार बार-बार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही है।
‘ऐसा लगता है कि हम किसी विदेशी देश में हैं’ : झारखंड हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि राज्य सरकार की तरफ से दायर हलफनामों और अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावों से ऐसा लगता है कि हम किसी विदेशी देश में हैं। हालांकि, वास्तविकता कुछ और ही है।
‘सुविधाओं की कमी के कारण नर्सिंग होम जाने के मजबूर मरीज’ : झारखंड न्यायालय ने कहा, रिम्स में सुविधाओं की कमी के कारण मरीज निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में जाने को मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश चिकित्सा केंद्रों के पास क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत आवश्यक उचित लाइसेंस नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवा के बजाय निजी अस्पताल धन की देखभाल में लिप्त हैं। बता दें कि रिम्स झारखंड सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है।
झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी अपडेट रिपोर्ट : अदालत ने राज्य सरकार को एक अपडेट स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और यह बताने का निर्देश दिया कि उचित लाइसेंस के बिना चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
मामले में दो हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई : बता दें कि न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ज्योति शर्मा की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रिम्स में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी का आरोप लगाया गया था। फिलहाल इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद फिर होगी।