नई दिल्ली : लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पर मचे हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि अगर विपक्ष की आपत्तियों को रिपोर्ट में शामिल करना हो तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है. शाह ने कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों ने चिंता जताई है कि उनकी राय पूरी तरह से शामिल नहीं की गई है. मैं अपनी पार्टी की ओर से कहना चाहता हूं कि विपक्ष की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ भी जोड़ा जा सकता है.. हमें कोई आपत्ति नहीं.
संसद में वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया. विपक्ष का आरोप था कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट से उनके असहमति नोट हटा दिए गए हैं. लोकसभा में इस रिपोर्ट को जेपीसी के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने पेश किया. लेकिन इस दौरान सदन में ‘जय श्री राम’ के नारे गूंजने लगे और विपक्ष ने इसे लेकर हंगामा किया.
हंगामे के बीच अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार को असहमति नोट जोड़ने पर कोई ऐतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई है कि उनकी राय को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया. मैं अपनी पार्टी की ओर से अनुरोध करता हूं कि विपक्ष की असहमति को संसदीय प्रक्रिया में उचित रूप से शामिल किया जाए. हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं.
राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट विपक्ष की राय को नजरअंदाज करके तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि जेपीसी रिपोर्ट में कई सदस्यों ने असहमति दर्ज कराई थी. लेकिन उन्हें हटा दिया गया. यह लोकतंत्र के खिलाफ है. हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट कभी स्वीकार नहीं करेंगे. खड़गे ने मांग की कि रिपोर्ट को दोबारा जेपीसी के पास भेजा जाए और संशोधित रिपोर्ट फिर से संसद में पेश की जाए. विपक्षी एकता दिखाते हुए ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सांसदों ने भी खड़गे का समर्थन किया.
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने दावा किया कि जेपीसी की बैठकों में धारा-वार चर्चा तक नहीं की गई. उन्होंने कहा कि हमने अपनी असहमति दर्ज कराई थी. लेकिन उसे रिपोर्ट से हटा दिया गया. यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है.
इस बीच केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि असहमति नोट रिपोर्ट के परिशिष्ट (एपेंडिक्स) में जोड़े गए हैं. रिपोर्ट में से कुछ भी हटाया नहीं गया है. विपक्ष बिना कारण मुद्दा बना रहा है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग भारतीय राज्य से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उनका यह बयान राहुल गांधी के उस पुराने बयान की ओर इशारा माना जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सिर्फ बीजेपी और आरएसएस से नहीं बल्कि ‘भारतीय राज्य’ से भी लड़ रही है.
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है. इसमें वक्फ बोर्डों के प्रशासन में बड़े बदलाव का प्रस्ताव है. बिल के प्रमुख प्रावधानों में राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और यह तय करने के लिए सरकारी अधिकारी की मध्यस्थता करना शामिल है कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं. संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की अंतिम रिपोर्ट 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपी गई थी. रिपोर्ट को तैयार करने में कई महीने लगे और 29 जनवरी को इसे अपनाया गया. रिपोर्ट में सत्तारूढ़ एनडीए सांसदों के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया. जबकि विपक्ष द्वारा सुझाए गए बदलावों को खारिज कर दिया गया.