प्रयागराज : आज महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है, पूरे देश में इसकी धूम देखने को मिल रहा है। वहीं, काशी में इसकी अलग रौनक है क्योंकि काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। माना जाता है कि इस नगरी को स्वयं भगवान शिव ने बसाया था।
यहां महाशिवरात्रि के साथ ही सावन माह में भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और बाबा के दर्शन करते हैं। महाकुंभ के अंतिम स्नान के दिन भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।
माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन आध्यात्मिक उत्थान के लिए साधु-संत और आमजन यहां पहुंचते हैं, जिसकी श्रद्धा अटूट होती है उसे आदि योगी भगवान शिव प्रसन्न होकर आशीष देते हैं।
इस बार यह महाशिवरात्रि महाकुंभ में पड़ रही है इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ गया है और यहां श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ रही है। हर साल महाशिवरात्रि पर नागा और अघोरी साधु काशी में पेशवाई निकालते हैं।
वहीं, डेढ़ महीने प्रयाग महाकुंभ में रहने के बाद नागा संन्यासी बाबा विश्वनाथ के दर्शन करके अपने इस महाकुंभ पर्व की पूर्णाहुति करते हैं। ऐसा ही नजारा द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में देखने को मिला। श्री पंच दसनाम जूना अखाड़े की अगुवाई में पांच नागा संन्यासी अखाड़ों का दल बाबा विश्वनाथ के गेट नंबर चार पर पहुंचा।
नागा संन्यासी अपने-अपने अखाड़े के निशान और आराध्य के साथ अपने युद्ध कला कौशल का प्रदर्शन करते हुए पेशवाई के रूप में विश्वनाथ मंदिर के अंदर जब प्रवेश कर रहे थे तो उनका स्वागत पुष्प वर्षा और माल्यार्पण के साथ पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रशासन ने किया।