हाथरस : हाथरस हादसे ने पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कलई खोल कर रख दी है। इस हादसे के दौरान प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से लाचार दिखा। कार्यक्रम स्थल से लेकर ट्रामा सेंटर तक अव्यवस्थाएं हावी रहीं। सूचना पर पहुंचे जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक अपने अधीनस्थों को निर्देश देते रहे। आलम यह रहा कि अस्पताल में तमाम प्रयासों के बावजूद भी ऑक्सीजन, बिजली व अन्य व्यवस्थाओं को प्रशासनिक अमला संभाल नहीं सका। जिससे लोगों में गुस्सा दिखा।
स्वास्थ्य विभाग की लाचारी को लेकर कई बार लोगों में रोष देखने को मिला है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। सिकंदराराऊ सीएचसी स्थित ट्रामा सेंटर पर जैसे ही घायलों का पहुंचना शुरू हुआ तो यहां न ऑक्सीजन मिली और न ही पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक। लोगों का आरोप था कि यहां अस्पताल परिसर में महज एक बोतल चढ़ाने की व्यवस्था है।
न तो पंखे चल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन मिल रही है। अफसरों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। जैसे ही जिलाधिकारी आशीष कुमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने खुद वहां के हालात देखकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन मिलाए, लेकिन कोई सुधार नहीं हो सका। यहां तक कि खुद अफसर स्थानीय लोगों से पंखें, पानी आदि की मदद के लिए कहने लगे।
सत्संग में बेतहाशा भीड़ थी। हैरानी की बात यह थी कि इस भीड़ को नियंत्रित करने व सुरक्षा के लिहाज से महज 40 पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। पुलिस प्रशासन की ओर से भीड़ को देखते हुए सही अंदाजा नहीं लगाया गया, वरना यह हादसा नहीं होता।
इस सत्संग की तैयारी पिछले 15 दिन से चल रही थी। पंडाल भी तैयार किया गया, लेकिन खुफिया तंत्र सोया रहा। खुफिया तंत्र ने भीड़ के एकत्रित होने संबंधी कोई रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को नहीं दी और इतना बड़ा हादसा हो गया।