झारखंड : रांची में प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, हिरासत में लिए गए छात्र नेता

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रांची : झारखंड कर्मचारी सेवा आयोग (जेएसएससी) की तरफ से सितंबर में आयोजित भर्ती परीक्षा में कथित गड़बड़ी के विरोध में सोमवार को रांची में मौजूद जेएसएससी कार्यालय के पास जमा हुए आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। 

इस दौरान पुलिस ने कुछ छात्र नेताओं को हिरासत में भी लिया है। जानकारी के मुताबिक, इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे झारखंड राज्य छात्र संघ (जेएसएसयू) के नेता देवेंद्र नाथ महतो को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

वहीं जेएसएससी ने 16 से 22 दिसंबर के बीच दस्तावेज सत्यापन के लिए 2,231 शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को बुलाया है। वे झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) के लिए योग्य हैं, जिसमें 3.04 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। इससे पहले रांची प्रशासन ने शनिवार सुबह 5.30 बजे से 20 दिसंबर रात 8 बजे तक एसएससी कार्यालय के 500 मीटर के दायरे में बीएनएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।

जबकि आंदोलनकारी छात्रों ने दावा किया कि वे जेएसएससी कार्यालय से करीब एक किलोमीटर दूर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि निषेधाज्ञा 500 मीटर के दायरे में लागू थी। एक छात्र ने आरोप लगाया, ‘हमने कोई कानून नहीं तोड़ा। इसके बावजूद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और हमारे नेता देवेंद्र नाथ महतो की पिटाई करने के बाद उन्हें ले गई।’

अभ्यर्थियों के आंदोलन को देखते हुए यहां जेएसएससी कार्यालय के सभी प्रवेश द्वारों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था और बैरिकेड्स लगाए गए थे। अभ्यर्थियों ने घोषणा की थी कि वे भर्ती परीक्षा के दस्तावेज सत्यापन कार्य को रोकने के लिए सोमवार को जेएसएससी कार्यालय का घेराव करेंगे। इससे पहले, जेएसएसयू नेता देवेंद्र नाथ महतो ने कहा, ‘हमारा मुख्य उद्देश्य आयोग की तरफ से दस्तावेज सत्यापन कार्य को रोकना है।’ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी प्रवेश द्वारों पर जांच सुनिश्चित की गई थी और किसी को भी जेएसएससी कार्यालय की ओर बिना जांच के प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।

रांची प्रशासन ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह आंदोलन से निपटने के लिए तैयार है। प्रशासन ने छात्रों से किसी भी तरह के आक्रामक प्रदर्शन में भाग लेने से बचने का भी आग्रह किया। बयान में आगे कहा गया है कि, ‘ऐसी गतिविधियां न केवल कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करती हैं, बल्कि उनकी (आंदोलनकारी छात्रों की) शिक्षा, भविष्य और करियर पर भी गहरा असर डाल सकती हैं।’

छात्र जेजीजीएलसीसी परीक्षा को लेकर विरोध कर रहे हैं, जिसके माध्यम से सरकार में ज्यादातर जूनियर स्तर के पदों पर भर्ती की जाएगी। उनका आरोप है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। 30 सितंबर को जेएसएससी कार्यालय के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें परीक्षा रद्द करने की मांग की गई। जेएसएससी ने छात्रों की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। आरोपों को खारिज करते हुए जेएसएससी सचिव सुधीर गुप्ता ने कहा कि परीक्षा स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आयोजित की गई थी।