नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर्नाटक में रणनीतिक रूप से अहम करवार नौसैनिक अड्डे से शनिवार को हिंद महासागर पोत ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) को हरी झंडी दिखाएंगे। इस पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करना है।
अधिकारियों ने बताया कि नौसैनिक अड्डे का दौरा करते समय वह कुछ नवविकसित बुनियादी ढांचे का भी उद्घाटन करेंगे। नौसेना अहम नौसैनिक अड्डे का परियोजना ‘सीबर्ड’ के तहत विस्तार कर रही है।
रक्षा मंत्री कार्यालय ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हिंद महासागर पोत ‘सागर’ के रूप में आईएनएस सुनयना को हरी झंडी दिखाएंगे जिस पर 44 कर्मी सवार हैं।’’ इसने इस पोस्ट में एक वीडियो भी साझा किया है जिसमें इस मिशन के तहत जमीन और समुद्र दोनों पर आयोजित प्रशिक्षण चरणों को दर्शाया गया है।
रक्षा मंत्री कार्यालय ने लिखा, ‘‘आईओएस सागर हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ मजबूत संबंध बनाने और हिंद महासागर क्षेत्र में अधिक सुरक्षित और अधिक समावेशी समुद्री वातावरण की दिशा में काम करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा।’
हिंद महासागर पोत (आईओएस) ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) आईओआर देशों के साथ निरंतर सहयोग की दिशा में एक पहल है।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को शीर्ष सैन्य कमांडरों के अर्धवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने को जब भी आवश्यक हो, सैद्धांतिक बदलाव किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को वर्तमान गतिशील भू-रणनीतिक परिवर्तनों और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों चुनौतियों का सामना करने के लिए एक गतिशील योजना’ तैयार करनी चाहिए।
सिंह ने कहा, ‘‘सैन्य कमांडर सम्मेलन जैसे मंचों पर वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा की गई सिफारिशों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो मध्यावधि समीक्षा और संशोधन के साथ उन्हें तार्किक निष्कर्ष पर ले जाना चाहिए। राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सुधारों एवं क्षमता आधुनिकीकरण के मार्ग पर सेना को आगे बढ़ने में सहायता करने को प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने कहा कि ‘हाइब्रिड’ युद्ध सहित अपरंपरागत और असममित युद्ध ‘‘भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे’’। सिंह ने वर्तमान भू-रणनीतिक अनिश्चितताओं और जटिल विश्व स्थिति पर जोर दिया, जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर सभी पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान विश्व ‘‘एक दूसरे से जुड़ा हुआ विश्व है’’ और ऐसी घटनाएं चाहे पड़ोस में हों या दूर के देशों में, सभी को प्रभावित करेंगी ।