कोलकाता : वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन के बाद कई परिवार विस्थापित हो गए हैं। इनमें से कई परिवारों ने झारखंड के पाकुड़ जिले में शरण ली है। जबकि अन्य ने मालदा में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली है।
झारखंड के पाकुड़ में शरण लेने वाले एक वृद्ध व्यक्ति मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान की मुश्किलों को याद करते हुए रो पड़े। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, मुझ सच में नहीं पता कि क्या हुआ। मैंने सुबह अपनी दुकान खोली और बाहर बैठ गया। उन्होंने ईंटें फेंकी और दरवारे तोड़ दिए। मेरा टेलीविजन, शीशा, फर्नीचर, दो-तीन अलमारी और मेरा सारा पैसा घर पर था। हम परसों रात यहां आए।
इस हिंसा के बाद विभिन्न सियासी दलों के नेताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हालात बिगाड़ने के बाद भी चुप रहने का आरोप लगाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने हिंसा के दौरान चुप्पी साधे रखी और स्थिति को बिगड़ने दिया।
एक सभा संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने मुर्शिदाबाद में तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट को धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, बंगाल जल रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री चुप हैं। वह दंगाइयों को शांति के दूत कहती हैं। लेकिन जो लोग केवल बल प्रयोग समझते हैं, वे बातों से नहीं समझेंगे। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उन्होंने दंगाइयों को अशांति फैलाने की पूरी आजादी दे रखी है। पिछले हफ्ते से पूरा मुर्शिदाबाद जल रहा है। फिर भी सरकार चुप है। ऐसी अराजकता पर नियंत्रण होना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि ममता सरकार राज्य में बांग्लादेश जैसे हालात बनाने में मदद कर रही है। अगर वह दावा कर रही हैं कि दंगाई बाहरी लोग हैं, तो उन्होंने पकड़ा क्यों नहीं जा रहा? पुलिस क्या कर रही है। दोषारोपण करना सरकार का काम नहीं है। वह विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू अल्पसंख्यकों वाले इलाकों में डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग की निगरानी में राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव होने चाहिए। वरना हिंदू अपना वोट नहीं दे पाएंगे।
वहीं, कांग्रेस नेता और बेरहमपुर के पूर्व सांसद अधीर रंजन चौधरी ने 11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के कारण घायल पीड़ितों से मुलाकात की और ममता सरकार की आलोचना की कि जब लोग जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो सरकार चुप्पी साधे हुए है।
मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पाल में पीड़ितों से मिलने के बाद चौधरी ने कहा, बहुत से लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन पुलिस और राज्य सरकार चुप है। लोग जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार फिर भी कुछ नहीं कह रही है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को मुर्शिदाबाद हिंसा की प्रारंभिक जांच के बारे में अवगत कराया गया है, जिसमें कथित तौर पर बांग्लादेशी तत्वों की संलिप्तता का संकेत मिल रहा है। प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि स्थानीय टीएमसी नेताओं ने कथित तौर पर बांग्लादेशी तत्वों की मदद की थी।