बिहार : जेईई मेंस में ‘पटवा टोली’ का जलवा, 40 से ज्यादा छात्र-छात्रा सफल

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गया : बिहार के गया जिले में स्थित पटवा टोली गांव के छात्र-छात्राओं ने जेईई मेस-2 में फिर जलवा बिखेरा है। 40 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सफलता हासिल किया है। गया शहर मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर पटना टोली गांव बुनकरों की बस्ती है। 

लेकिन अब भी इस गांव को इंजीनियरों के गढ़ के रूप में लोग जानते हैं। क्योंकि इस गांव से हर साल बच्चे इंजीनियर बनते हैं। इस बार भी जेईई मेंस-2 के रिजल्ट में भी में पटवा टोली गांव के छात्रों का दबदबा कायम है।

बता दें कि लगभग 40 से ज्यादा छात्रों ने जेईई-मेन परीक्षा में सफलता हासिल किया है। हालांकि, 18 मई को होने वाले जेईई एडवांस्ड की परीक्षा में शामिल होंगे। बुुनकरों के गांव पटवा टोली ने फिर कमाल किया है। पहले भी पटवा टोली गांव इंजीनियरों का कारखाना के रूप में जाना जाता था। अब एक फिर लोगों के बीच साबित कर दिया कि आज भी यह गांव इंजीनियरों की फैक्ट्री है। इस गांव की इतनी प्रसिद्धि है कि दूसरे राज्य से छात्र बुनकरों के गांव पटवा टोली बस्ती में रहकर इंजनियरिंग की तैयारी करते हैं और सफलता भी मिल रहा है।

जेईई मेंल-2 के रिजल्ट में पटवा टोली गांव का फिर से जलवा देखने को मिला है। जेईई मेंस-2 के रिजल्ट आने के बाद पटवा टोली गांव के 40 से ज्यादा छात्रों ने सफलता हासिल की है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी छात्रों ने सफलता का सिलसिला जारी रखा है।

इस बार जेईई मेन में पटवा टोली गांव के रहने वाले सागर कुमार ने परीक्षा में सफलता पाया है। छात्र सागर कुमार को जेईई मेंस के रिजल्ट में 94.8 अंक प्राप्त हुआ है। सागर कुमार जब होश भी नहीं संभाला था, उसके पिता की देहांत हो गई थी। पिता की मौत के बाद सागर को बुनकरों की इस नगरी पटवा टोली गांव में रहने लगे। मां बुनकरों के बीच रहकर सूत काटने लगी और अपने बच्चे सागर को पढ़ाने लगी। मां की मेहनत रंग लाई और सागर कुमार जेईई मेंस के रिजल्ट में सफलता प्राप्त किया।

पूछे जाने पर छात्र सागर कुमार ने बताया कि इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता हूं। पटवा टोली गांव में वृक्ष संस्था बुनकरों के बच्चों को पढ़ाने में मदद करता है। संस्था के बदौलत आज हम जेईई-मेन-2 में सफलता हासिल किए हैं। बहरहाल, जो करीब-करीब सभी सफल छात्रों की यही कहानी है। हालांकि, इस बार भी जेईई मेंस-2 की परीक्षा में 40 से अधिक छात्रों का सफलता देख लोग हैरान हैं और लोग कहने लगे कि यह बुनकरों की नगरी नहीं इंजीनियरों की बस्ती है।