जम्मू : रामबन जिले में आया भीषण तूफान और ओलावृष्टि ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित सेरी और रामबन क्षेत्र रहे, जहां कई घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
सेरी के 95 वर्षीय बेलीराम जी ने कहा कि उन्होंने कभी अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा तूफान नहीं देखा था। उनका कहना था कि ये एक प्रलय थी, न कि एक साधारण तूफान।
71 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी पृथ्वी सिंह ने बताया कि उनके दो घर थे। जो एक पूरी तरह जमीन में मिल गया है और दूसरे घर की चारदीवारी टूट गई है। और उनकी कई गाड़ियां भी मलबे में दब गई हैं।
रामबन से लेकर सेरी तक करीब एक दर्जन से ज्यादा गाड़ियां मलबे में दबी हुई हैं। कई परिवारों के पास खाना तक नहीं है और लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। शनिवार रात 9 बजे से बारिश शुरू हुई और रविवार सुबह 6 बजे तक चलती रही। बीच में दिन में मौसम केवल दो घंटे खुला था (दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक)।
नेटवर्क कनेक्टिविटी भी पूरी तरह ठप हो चुकी है। मोबाइल टावर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और बीएसएनएल सेवा बंद है। लोग एक ट्रैफिक ऑफिसर के वाई-फाई से जुड़कर अपने रिश्तेदारों से संपर्क कर पा रहे हैं। जिन गांवों में आपदा में तीन लोगों की मौत हुई है, वहां प्रशासन अभी तक नहीं पहुंचा है क्योंकि सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें रामबन पहुंच चुकी हैं, लेकिन मार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे अब तक घटनास्थल नहीं पहुंच पाई हैं। रामबन से सरी तक छह जगह भारी भूस्खलन हुए हैं। प्रभावित गांवों में लोग अभी भी राहत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस दुर्घटना पर गहरी शोक व्यक्त किया है। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी मौके पर पहुंचे और राहत और पुनर्स्थापन कार्यों की निगरानी की जानकारी दी। राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से धन की मांग की है.