भारत-पाकिस्तान में होने वाला है कुछ बड़ा : बंकरों की सफाई, वक्त से पहले फसल कटाई

Fasal-Katai

श्रीनगर : भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है। इसके चलते यहां के लोगों की जिंदगी दहशत के साथ गुजर रही है। डर बना रहता है कि कहीं हमला न हो जाए। इन सबके बीच घर के पुरुषों ने महिलाओं और बच्चों को बंकरों के बारे में जानकारी देनी शुरू कर दी है। उन्हें जागरूक किया जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर कैसे इनका उपयोग करके जान बचाई जा सकती है।

इस बीच, पाकिस्तान की ओर से उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर भारतीय अग्रिम चौकियों को निशाना बनाते हुए छोटे हथियारों से फायरिंग की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने नौगाम सेक्टर, उड़ी सेक्टर, केरन और तंगधार सेक्टर में शुक्रवार देर रात फायरिंग की।

इससे लोगों में डर का माहौल है। एक सैन्य अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान लगातार छोटे हथियारों से हमारे इलाके में फायरिंग कर रहा है। भारतीय सेना के जवानों द्वारा भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। इस बीच, अभी तक किसी तरह के जानी नुकसान की कोई खबर नहीं है।

वहीं, डर के साये में रह रहे लोग सहमे हुए हैं। करनाह सेक्टर के निवासी नजाकत अहमद ने कहा, “खतरा महसूस किया जा रहा है कि कहीं युद्धविराम का उल्लंघन न हो जाए। करनाह के लोग कई सालों से सुकून की सांस ले रहे थे, क्योंकि युद्धविराम के बाद गोलाबारी बंद हो गई थी।”

कम्युनिटी बंकर, जो वर्षों से बंद पड़े थे और कइयों में घास उग आई थी, उनकी सफाई की जा रही है। इतना ही नहीं, लोग अपने बच्चों और महिलाओं को इनके बारे में जागरूक कर रहे हैं।

एक अन्य स्थानीय निवासी बशारत ने कहा, जिस किसी के पास अपने बंकर हैं, उन्हें भी साफ किया जा रहा है, और जहां कम्युनिटी बंकर हैं, उनकी सफाई की जा रही है। दहशत का माहौल बना हुआ है। रात में भी तीन-चार जगहों पर पाकिस्तान द्वारा फायरिंग की गई।

तंगधार-सी में कम्युनिटी बंकर की कमी है। जगह सही न मिलने पर इसे नहीं बनाया जा सका। कुछ दूरी पर है। हम लोगों ने यहां अपने निजी बंकर भी बनाए हैं। जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन पहले तो यह दुआ करते हैं कि ऐसे हालात न बनें जिसमें लोगों को कोई परेशानी या नुकसान उठाना पड़े।

गौरतलब है कि कुल मिलाकर देखें तो कश्मीर में एलओसी के करीब सभी जगह ऐसा ही हाल है। सभी जगह लोग दहशत के माहौल में जी रहे हैं और उनका कहना है कि दशकों बाद इन इलाकों में लौटी शांति को वे खोना नहीं चाहते।

अरनिया में बीएसएफ की आउटपोस्ट पर गतिविधियां बढ़ी हैं। पाकिस्तान ने अपनी ओर जीरो लाइन पर गेहूं की फसल समेट ली है। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से तत्काल फसल समेटने को लेकर बीएसएफ द्वारा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को जीरो लाइन पर फसल समेटने में तेजी लाने के लिए कहा गया है।

बीएसएफ ने सीमा पर अधिक कंबाइन मशीनें बुलाने का अनुरोध किया है। सीमा पर बॉर्डर आउटपोस्ट पर बीएसएफ की गतिविधियों में तेजी आई है। सीमा पर एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है। सीमावर्ती क्षेत्र में बंकरों की सफाई का कार्य दूसरे दिन भी जारी है।

भारत पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर स्थित गांव के किसानों ने एक माह पहले ही गेहूं की कटाई शुरू कर दी है। किसान मोहम्मद सगीर, जमाल दीन, जमील अहमद आदि का कहना है कि अभी हमारी गेहूं कच्ची है, लेकिन नियंत्रण रेखा पर जिस प्रकार के हालात बने हुए हैं, उसके चलते कभी भी पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी शुरू की जा सकती है। ऐसे में जब भी गोलाबारी होती है तो सबसे अधिक नुकसान हमारी फसलों को होता है। 

पाकिस्तानी सेना जानबूझ कर खेतों में आग लगने वाले गोले दागती है। जिससे फसल जलकर तबाह हो जाती है। इसलिए हमने एक महीना पहले ही अपनी फसल काटना शुरू कर दिया है ताआपातकाल में सरकार एवं सेना भी खाना उपलब्ध करा देती है, लेकिन पशुओं के चारे की व्यवस्था नहीं होती है। हालांकि एक महीना पहले फसल की कटाई करने से हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। भारत के सीमावर्ती गावों में किसान गेहूं की फसल को समेटने में जुटे हैं, जबकि पाकिस्तान के किसानों की हलचल बंद है। पाकिस्तानी क्षेत्र के किसानों की गेहूं की फसल खेत में खड़ी है। उस पार बिलकुल ही खामोशी बनी हुई है। 

सीमावर्ती किसान दौलत राम, मंगुचक के बलवीर सिंह के अनुसार पहले सुबह शाम मस्जिदों में आवाज आती थी, लेकिन गत दो तीन दिन से खामोशी बनी हुई है। केवल पाकिस्तानी रेंजर्स की ही हलचल देखी जा रही है। सीमा की जीरो लाइन के गांव चक सद्दा के किसान दौलत राम ने कहा कि उनके गांव में आज तक गेहूं की कटाई के लिए एक भी मशीन नहीं आई है जिससे किसान चिंतित हैं। उधर जिला प्रशासन के अधिकारी भी सरकारी स्कूलों के दौरे कर स्थिति का आकलन कर रहे हैं। संवाद

सीमावर्ती गांव में लोगों ने घरों में बने बंकरों की सफाई शुरू कर दी है। गांव सुचेतगढ़ में कुल 12 सामुदायिक बंकर हैं। पंचायत के पूर्व सरपंच स्वर्ण लाल भगत का कहना है कि आरएस पुरा प्रशासन की ओर से अभी तक बंकरों की सफाई करवाने का कोई निर्देश जारी नहीं किया गया। गांव में सामुदायिक बंकरों के भीतर गंदगी फैली हुई है।

पंचायत फलोरा के सरपंच सुरजीत चौधरी का कहना है कि उनकी पंचायत के अधीन गांच शेखे चक्क में घरों में बने बंकरों की लोग खुद सफाई कर रहे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत सामूहिक बंकरों की है जिसकी माउंटी नहीं बनाए जाने पर बारिश होने पर पानी इनमें चला जाता है। 

उन्होंने कहा कि जिला आयुक्त जम्मू को समस्या से अवगत करवाया गया पर अभी तक माउंटी का निर्माण नहीं कराया गया। एक और आतंकी का घर मिट्टी में: कुपवाड़ा में लश्कर आतंकी फारूक तीदवा का मकान उड़ाया, कैमरे में कैद तबाही का मंजर सीमा से सटे इलाकों में किसान फसलों की कटाई में जुटे हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं ने बंकरों की सफाई की जिम्मेदारी संभाल ली है। जानकारी के अनुसार, पहाड़पुर से बोबिया तक सीमा से सटे इलाके में करीब एक हजार एकड़ गेहूं की फसल लगाई गई थी, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत की कटाई पूरी हो चुकी है। 

हालांकि, सीमावर्ती इलाका होने के कारण पर्याप्त कंबाइन और मजदूर न मिलने से किसानों को खुद ही सुबह, दोपहर और शाम को कटाई करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि यदि प्रशासन की ओर से उन्हें और कंबाइन मशीनें उपलब्ध कराई जाएं, तो यह काम दो-तीन दिन में पूरा हो सकता है, अन्यथा इसमें एक हफ्ते तक का समय लग सकता है।

एसडीएम फुलेल सिंह ने बताया कि बीडीओ मढ़ीन और बीडीओ हीरानगर सीमावर्ती इलाकों में लगातार दौरे कर रहे हैं और बंकरों की व्यवस्था का निरीक्षण कर रहे हैं।