नई दिल्ली : भारतीय निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया जमीनी स्तर पर एकदम सुचारू ढंग से जारी है। इसका संचालन 24 जून 2025 के निर्देशों के अनुरूप किया जा रहा है। निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही, मतदाताओं को सलाह दी कि मतदाता सूचियों की समीक्षा पर भ्रामक बयानबाजी करने वालों से सावधान रहें।
आयोग का यह बयान एक विज्ञापन को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम के जवाब में आया है। सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग एकदम पारदर्शी ढंग से सूची तैयार करने और किसी पात्र मतदाता के न छूटने को लेकर प्रतिबद्ध है।
मतदाताओं को ऐसे कुछ लोगों की तरफ से दिए जा रहे बयानों से सावधान रहना चाहिए, जो 24 जून के एसआईआर निर्देश को पढ़े बिना गलत और भ्रामक बयान दे रहे हैं। दरअसल, निर्वाचन आयोग की तरफ से रविवार को समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि यह वंचितों से उनके मताधिकार छीनने की भाजपा-आरएसएस की साजिश का हिस्सा है।
विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हए आयोग ने फिर दोहराया कि एसआईआर निर्देश में साफ कहा गया है कि 1 अगस्त 2025 को जारी होने वाला मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए लोगों को 25 जुलाई तक अपना गणना फॉर्म जमा कराना होगा। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। आयोग के मुताबिक, मतदाता बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) की तरफ से मुहैया कराए जाने वाले गणना फॉर्म भरकर 25 जुलाई 2025 तक अपने दस्तावेजों के साथ जमा कर सकते हैं। गणना फॉर्म आयोग ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। अगर कोई मतदाता 25 जुलाई तक फॉर्म नहीं जमा कर पाता है तो दावे और आपत्ति अवधि के दौरान भी दस्तावेज जमा करा सकता है।
आयोग की तरफ से जारी किए गए विज्ञापन में बताया गया है कि सभी मतदाताओं को नियत समय और दस्तावेजों के साथ अपने फॉर्म जमा कराने है। साथ ही, इस बात की भी जानकारी दी गई है यदि किसी मतदाता के पास दस्तावेज या फोटो उपलब्ध नहीं है तब भी बीएलओ को गणना फॉर्म भरकर मुहैया करा दें। इससे मसौदा सूची के प्रकाशन से पूर्व सत्यापन के दौरान निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ईआरओ) की तरफ से अन्य दस्तावेजों के आधार पर निर्णय लेना आसान होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सोशल मीडिया पर आयोग का विज्ञापन साझा करते हुए लिखा कि भाजपा ने चुनाव आयोग के सहयोग से बिहार में करोड़ों लोगों का वोटिंग अधिकार छीनने का जो मास्टर प्लॉन बनाया था, उसमें अब खुद फंसती नजर आ रही है। कांग्रेस पहले ही दिन से कह रही है कि जो लोग चुनाव-दर-चुनाव वोट देते आ रहें हैं, उनसे वोटिंग के लिए कागज दिखाने के लिए क्यों कहा जा रहा है? जब विपक्ष, जनता और सिविल सोसाइटी का दबाव बढ़ा तब आनन-फानन में चुनाव आयोग ने ये विज्ञापन प्रकाशित किए हैं, जो कहते हैं कि अब केवल फॉर्म भरना है, कागज दिखाने जरूरी नहीं हैं।
बिहार में मतदाता सूची की गहन समीक्षा को लेकर विपक्ष की तरफ से लगातार लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि उनकी शिकायतें दूर कर पाना काफी मुश्किल काम हैं लेकिन उनकी तरफ से इसकी हरसंभव कोशिशें की जा रही हैं।
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने बताया कि पिछले चार महीनों में सभी 4,123 ईआरओ, सभी 775 डीईओ और सभी 36 सीईओ विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब 28,000 प्रतिनिधियों के साथ 5,000 से ज्यादा बैठकें कर चुके हैं। यही नहीं निर्वाचन आयोग ने भी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया और उनकी शिकायतें सुनीं। सीईसी ने आगे कहा कि बैठकों में विभिन्न राजनीतिक दल किसी न किसी कारण मतदाता सूची को लेकर संतुष्ट नहीं दिखे लेकिन उनकी शंकाएं दूर करने के प्रयास जारी हैं। इसके तहत उनके साथ मुलाकातों का क्रम चल रहा है।
इस बीच, चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, बिहार में रविवार शाम छह बजे तक 1,69,49,208 गणना प्रपत्र प्राप्त किए जा चुके हैं जो कुल पंजीकृत 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 21.46 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों में आयोग ने 65,32,663 गणना प्रपत्र जमा किए हैं। प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि में अभी 19 दिन बाकी हैं। गणन फॉर्म अपलोड करने का काम भी जोरशोर से चल रहा है। अब तक 7.25 प्रतिशत प्रपत्र अपलोड हो चुके हैं।
बिहार में एसआईआर को लेकर अब तृणमूल कांग्रेस की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। महुआ ने अपनी याचिका में आयोग के 24 जून के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है।