रांची : झारखंड सरकार में पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री रहे आलमगीर आलम को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। इसके चलते अब उन्हें फिलहाल रांची के बिरसा मुंडा होटवार जेल में ही रहना होगा। हालांकि, उनके पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प अभी खुला है।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच के अनुसार, आलमगीर आलम पर ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए टेंडर आवंटन में 1.5 प्रतिशत कमीशन के जरिये अवैध रूप से कमाई करने का आरोप है। जांच एजेंसी का दावा है कि यह कमीशन सीधे या सहयोगियों के माध्यम से पूर्व मंत्री तक पहुंचता था।
इस मामले में सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब 6-7 मई 2024 को आलम के निजी सचिव संजीव कुमार लाल के घरेलू सहायक के घर से लगभग 32 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। ईडी का कहना है कि यह रकम टेंडर घोटाले से जुड़ी थी और आलम ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये इसे वैध बनाने में अहम भूमिका निभाई।
पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को 15 मई 2024 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वे जेल में हैं। जमानत याचिका में उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि उन्हें संदेह के आधार पर फंसाया गया है। उनके वकीलों ने कोर्ट के सामने 1500 पन्नों की लिखित दलीलें पेश कीं, लेकिन हाईकोर्ट ने उन तर्कों को खारिज कर दिया।
बता दें कि इस मामले की जांच फरवरी 2023 में शुरू हुई थी, जब निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी। इसके बाद मई 2024 में आलम के पीए संजीव लाल और सहयोगी जहांगीर आलम के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।
अब तक ईडी ने इस टेंडर घोटाले में कुल 4.42 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। फिलहाल सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि पूर्व मंत्री हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हैं या नहीं।