नई दिल्ली/पेरिस : ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। इस मौके पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के साथ खुशी और गर्व साझा किया।
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में मराठा साम्राज्य द्वारा बनाए गए खास किले और उनकी सैन्य व्यवस्था शामिल है। इसे शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह भारत की 44वीं धरोहर है, जिसे यह मान्यता मिली है।
अजोले ने पीएम मोदी द्वारा दिन में पहले की गई पोस्ट को साझा किया और कहा, ‘प्रिय प्रधानमंत्री मोदी, मैं आपके और भारत के लोगों के साथ इस खुशी में शामिल हूं कि ‘भारत के मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची का हिस्सा बन गए हैं। ये 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच मराठों द्वारा बनाए गए 12 शानदार किले हैं, जो अब पूरी मानवता की धरोहर बन चुके हैं।’
ये किले 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे और इनकी कुल संख्या 12 है। इसमें 11 किले महाराष्ट्र में हैं- जैसे साल्हेर, शिवनेरी, रायगढ़, राजगढ़, लोहगढ़, खंडेरी, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजय दुर्ग और सिंधुदुर्ग और एक किला तमिलनाडु में है, जिसका नाम जिंजी है।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि ये किले अलग-अलग जगहों पर बने हैं और मराठों की सैन्य शक्ति को दर्शाते हैं। इससे पहले, पीएम मोदी ने यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को शामिल किए जाने की सराहना की और कहा कि हर भारतीय इस मान्यता से उत्साहित है।
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पर जोर देने से जोड़ते हैं। महान शासक किसी भी अन्याय के आगे न झुकने के अपने साहस से हमें प्रेरित करते हैं।’
उन्होंने कहा कि हर भारतीय इस मान्यता से उत्साहित है। ‘मराठा मिलिट्री लैडस्केप्स’ में 12 भव्य किले शामिल हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में है। पीएम मोदी ने सभी से इन किलों को देखने और मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारे में जानने का आह्वान किया।
संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि इस मान्यता से भारत की सांस्कृतिक विरासत, स्थापत्य कला, और इतिहास की विविधता की पहचान मिलती है। यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा ने कहा कि यह दिन खास तौर पर उन सभी मराठी लोगों के लिए ऐतिहासिक है, जिनकी सांस्कृतिक विरासत को अब दुनिया ने सम्मान दिया है। वहां मौजूद प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य भारत का तिरंगा झंडा लेकर खड़े थे।