कैलिफोर्निया : अंतरिक्ष स्टेशन जाकर इतिहास रचने वाले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की आज धरती पर वापसी होगी। शुभांशु और एक्सिओम-4 मिशन के उनके तीन साथी 10 मिनट की देरी से सोमवार शाम 4.45 बजे (भारतीय समयानुसार) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से धरती के लिए रवाना हुए। अंतरिक्ष यात्रियों का यह दल लगभग 22.5 घंटे का सफर पूरा करने के बाद मंगलवार यानी आज दोपहर करीब 3 बजे (भारतीय समयानुसार) कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर उतरेगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन से शुभांशु और उनके तीन साथियों की रवानगी का लाइव प्रसारण किया। शुभांशु के अलावा धरती पर लौट रहे ड्रैगन यान में एक्सिओम-4 की मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू सवार हैं।
शुभांशु और उनके तीनों साथियों ने आईएसएस में पहले से मौजूद दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को गले लगाया और हाथ मिलाने के बाद धरती पर वापसी के लिए ड्रैगन में सवार हो गए। इससे पहले रविवार को विदाई भाषण में शुभांशु ने कहा था कि जल्द ही धरती पर मुलाकात करते हैं। 26 जून को आईएसएस पहुंचे शुभांशु ने 18 दिनों के इस सफर पर पृथ्वी की 288 बार परिक्रमा की। अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले शुभांशु दूसरे भारतीय हैं। उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे और इतिहास रचा था।
धरती पर रवाना होने से पहले शुभांशु ने अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण में पानी के साथ हैरान कर देने वाले करतब दिखाए। शुभांशु ने मजाकिया अंदाज में एक वीडियो शूट किया। इसमें हवा में पानी के बुलबुले तैरते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अनुभव बहुत ही रोमांचक रहा। हम यहां लगातार प्रयोगों में व्यस्त रहे। जब भी थोड़ा समय मिलता था, मैं खिड़की के पास जाकर धरती की तस्वीरें खींचता था।
शुभांशु के परिवार को उनकी धरती पर वापसी का बेसब्री से इंतजार है। शुभांशु के आने की सूचना से परिवार बेहद उत्साहित है और उनकी सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना कर रहा है। वहीं, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, शुभांशु, आपका स्वागत है। पूरा देश आपके घर वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
इस मिशन के लिए इसरो ने लगभग ₹550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह मिशन इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाना है। शुक्ला का यह अनुभव उस मिशन की तैयारी में बेहद उपयोगी साबित होगा।
स्पेस से लौटने के बाद शुक्ला और उनकी टीम को सात दिनों तक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढलने के लिए पुनर्वास (रिहैबिलेशन) प्रक्रिया से गुजरना होगा। वजनहीन वातावरण में रहने के बाद शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में लाने के लिए यह जरूरी है। इस पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिकों की निगरानी में किया जाएगा।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की नई अंतरिक्ष पहचान का प्रतीक है। वे न केवल आईएसएस जाने वाले पहले भारतीय बने, बल्कि उन्होंने यह दिखा दिया कि भारत अब अंतरिक्ष अन्वेषण की अग्रणी दौड़ में शामिल हो चुका है। उनकी वापसी का हर भारतीय को बेसब्री से इंतजार है।