रांची/चतरा : चतरा जिले के मारवाड़ी मोहल्ला स्थित प्लस टू गर्ल्स स्कूल में बुधवार को उस समय अफरातफरी मच गई, जब हिजाब पहनकर स्कूल आई मुस्लिम छात्राओं ने शिक्षकों और प्रिंसिपल पर मारपीट और भेदभाव का आरोप लगा दिया।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब पहनने से रोका गया और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो शिक्षकों द्वारा मारपीट की गई। मामला इतना बढ़ा कि छात्राएं सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंच गईं, जिसके बाद शहर में तनाव की स्थिति बन गई।
घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब दसवीं कक्षा की छात्राएं नरगिस, ताइबा, सदब सिद्धकी, तसमिया नाज, शिफत अली, शाहीन परवीन, मुस्कान और फातिमा अंजर हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं।
इन छात्राओं ने स्कूल की प्रिंसिपल नीतू प्रजापति, शिक्षिका पल्लवी, सीमा, किरण और शिक्षक रविंद्र कुमार पर हिजाब पहनने के कारण मारपीट करने का आरोप लगाया। छात्राओं का कहना है कि उन्हें स्कूल में हिजाब पहनने से रोका जाता है, और विरोध करने पर उन्हें टीसी काटने की धमकी दी जाती है।
जब छात्राएं इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचीं, तो खबर आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। कुछ ही समय में एक हजार से अधिक मुस्लिम समाज के लोग अस्पताल परिसर में इकट्ठा हो गए और प्रिंसिपल को हटाने की मांग करने लगे। स्थिति को देखते हुए सदर थाना प्रभारी विपिन कुमार, एसडीओ जहूर आलम और जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेश कुमार मिश्रा अस्पताल पहुंचे और लोगों को शांत कराया।
अस्पताल पहुंचे पदाधिकारियों ने एक घंटे से अधिक समय तक बंद कमरे में छात्राओं से बातचीत की। छात्राओं ने आरोप लगाया कि रविंद्र सर उन्हें ‘पाकिस्तानी’ कहकर बुलाते हैं, और किरण मैम ने कुछ दिन पहले दो छात्राओं का हिजाब जबरन उतारकर नीचे फेंक दिया था। छात्राओं ने यह भी कहा कि नौवीं कक्षा के सेक्शन ए में सिर्फ हिंदू लड़कियां और सेक्शन बी में मुस्लिम छात्राएं रखी गई हैं, जिससे भेदभाव का माहौल बनता है।
हालांकि जब एसडीओ, डीईओ और थाना प्रभारी ने मौके पर स्कूल पहुंचकर रजिस्टर की जांच की, तो पता चला कि दोनों सेक्शन में सभी वर्गों की छात्राएं नामांकित हैं। साथ ही मारपीट की पुष्टि भी नहीं हो सकी। प्रशासन का कहना है कि मामले को तफ्तीश के दायरे में रखा गया है और सीसीटीवी फुटेज की जांच भी की जाएगी।
प्रिंसिपल नीतू कुमारी प्रजापति ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि स्कूल में स्पष्ट ड्रेस कोड लागू है। उन्होंने बताया कि हिजाब पहनने से मना नहीं किया गया, बल्कि स्कूल परिसर में हिजाब को बैग में रखने की सलाह दी गई, ताकि अनुशासन बना रहे। यह निर्णय स्कूल प्रबंधन की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया था। उन्होंने कहा कि छात्राओं द्वारा लगाए गए आरोप दुर्भाग्यपूर्ण और भ्रामक हैं।
एसडीओ जहूर आलम ने बताया कि 1956 से संचालित इस स्कूल में पहली बार हिजाब से जुड़ा विवाद सामने आया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की टॉप तीन छात्राएं मुस्लिम समाज से हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्कूल में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।