नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ प्रोटोकॉल तोड़कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपने पहुंच गए थे। बिना पूर्व सूचना के पहुंचे धनखड़ को राष्ट्रपति भवन में आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इस्तीफा देने के बाद धनखड़ सीधे अपने सरकारी आवास को खाली करने पहुंच गए।
अब जबकि उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है तब सरकार और उनके बीच असहज स्थिति के कई किस्से सामने आ रहे हैं। इनमें उनकी ओर से अप्रैल में भारत आए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बैठक कराने की जिद और किसानों के मुद्दे पर सार्वजनिक मंच पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी जैसी कई घटनाओं का जिक्र किया जा रहा है।
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के मुताबिक सोमवार को धनखड़ करीब 8:30 बजे अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने का समय नहीं लिया था। उनके अचानक वहां पहुंचने से अफरातफरी का माहौल था।
अधिकारियों ने तत्काल इसकी सूचना राष्ट्रपति को दी। ऐेसे में उन्हें राष्ट्रपति से मिलने के लिए करीब आधा घंटा इंतजार करना पड़ा। इस मुलाकात में धनखड़ ने तत्काल राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा और जब तक कोई कुछ समझ पाता उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दी।
सरकार और धनखड़ के बीच असहज स्थिति की शुरुआत बीते साल दिसंबर महीने में तब शुरू हुई जब उन्होंने सार्वजनिक मंच पर किसान आंदोलन पर सरकार नीति का विरोध किया था। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में उन्होंने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था। तब उन्होंने कहा था कृषि मंत्री जी आपका एक-एक पल भारी है।
मुझे बताईये कि क्या सरकार ने किसानों से कोई वादा किया था? अगर किया था तो उसे पूरा क्यों नहीं किया गया? किसान आंदोलन को सीमित रूप में देखना आपकी बड़ी भूल होगी, क्योंकि जो किसान सड़क पर नहीं हैं वह भी चिंतित हैं।
हालांकि धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया, अपना इस्तीफा सोशल मीडिया के जरिए क्यों सार्वजनिक किया, इस पर अब भी सस्पेंस कायम है। मंगलवार को उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। चूंकि इस्तीफे के बाद कयासों का दौर शुरू हो गया।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस्तीफा सरकार के दबाव में हुआ है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रकरण के 15 घंटे बाद सोशल मीडिया के जरिए उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना की, जिससे यह संदेश न जाए कि धनखड़ ने किसी दबाव में इस्तीफा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, अब कार्यवाहक सभापति हरिवंश राज्यसभा में महाभियोग के नोटिस पर फैसला लेंगे। चूंकि लोकसभा में सभी पक्षों के 152 सांसदों ने इसी आशय का नोटिस दिया है। ऐसे में सरकार निम्न सदन में महाभियोग की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती है। हालांकि, अब विपक्ष का क्या रुख होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। अगर प्रक्रिया राज्यसभा में शुरू हुई, तो इस मामले में सारा श्रेय विपक्ष ले लेगा।