रांची : राजधानी रांची के नगड़ी में बनने जा रही अत्याधुनिक ट्रॉमा यूनिट और मेडिकल कॉलेज (रिम्स-2) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर राज्य सरकार इसे बड़ी स्वास्थ्य उपलब्धि बताते हुए 700 बेड वाले नए मेडिकल कॉलेज और ट्रॉमा सेंटर की स्थापना का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर विरोध जता रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उनकी उपजाऊ जमीन छीनी जा रही है, जबकि उन्हें उचित मुआवजा और ठोस पुनर्वास योजना नहीं दी गई है। नगड़ी के रैयत मंडल मुर्मू ने कहा कि हम लोग खेती कर परिवार चलाते हैं। अगर जमीन छिन जाएगी तो हम कहां जाएंगे? सरकार को पहले उचित मुआवजा और पुनर्वास देना चाहिए। राज्य सरकार रिम्स-2 प्रोजेक्ट के तहत 110 एकड़ भूमि पर 1074 करोड़ रुपये की लागत से यह परियोजना शुरू करना चाहती है। लेकिन, जमीन अधिग्रहण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
विपक्षी दलों ने सरकार पर आदिवासियों की उपजाऊ जमीन छीनने का आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार रैयती और भूमिहरी जमीन पर जबरन कब्जा कर रही है। उन्होंने मांग की है कि रिम्स-2 का निर्माण किसी बंजर या सरकारी जमीन पर कराया जाए।
रांची के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री संजय सेठ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने किसानों के समर्थन में आंदोलन का एलान किया। 24 अगस्त को चंपई सोरेन ने इस जमीन पर हल चलाने की घोषणा की थी, लेकिन इससे पहले ही उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया। चंपई सोरेन ने कहा कि उनका विरोध परियोजना से नहीं बल्कि आदिवासी जमीन बचाने को लेकर है।
यह विवाद अब विधानसभा तक भी पहुंच गया है। मानसून सत्र के दौरान भाजपा ने रिम्स-2 के जमीन अधिग्रहण मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। विपक्ष का कहना है कि सरकार को पहले बरियातू स्थित रिम्स की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए, उसके बाद नए प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिए।
नगड़ी इलाका भूमि विवादों के लिए पहले से संवेदनशील माना जाता है। आईआईएम, विधानसभा भवन और अन्य परियोजनाओं के दौरान भी यहां भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों और सरकार के बीच टकराव हुआ था। 1957-58 में भी सरकार ने सार्वजनिक प्रयोजन हेतु भूमि अधिग्रहण का दावा किया था, लेकिन वास्तविक कब्ज़ा स्पष्ट न होने से आज भी ग्रामीण अपनी दावेदारी जताते हैं।
रिम्स-2 का भविष्य जमीन अधिग्रहण पर अटका हुआ है। सरकार इसे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मील का पत्थर बता रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध और विपक्ष के हमले के बीच यह परियोजना अधर में लटकी नजर आ रही है।