शाहजहांपुर : सूदखोरों के मकड़जाल में फंसकर एक और परिवार खत्म हो गया। रोजगार बढ़ाने के लिए सूदखोरों से ली धनराशि के फेर में सचिन ग्रोवर फंसता चला गया। पहले दोस्त बनकर मिलने वाले सूदखोर ब्याज वसूलने के लिए उसे प्रताड़ित कर थे। ब्याज न चुका पाने के चलते भाई की बाइक और पत्नी के नाम दर्ज कार तक कब्जा ली थी।
उद्योग केंद्र से लिए ऋण का अनुदान भी अटका हुआ था। इससे परेशान होकर हैंडलूम कारोबारी सचिन ग्रोवर (36 वर्ष) व उनकी पत्नी शिवांगी ग्रोवर (34 वर्ष) ने चार साल के बेटे को जहर खिलाने के बाद आत्महत्या कर ली। बुधवार सुबह दंपती के शव कमरे में फंदे से लटके मिले। मासूम का शव बेड पर पड़ा मिला। कारोबारी के फोन में 13 पेज का सुसाइड नोट मिला है।
13 पेज के सुसाइड नोट में सचिन की पत्नी शिवांगी ने अपनी मां के लिए भी लिखा है। लिखा है कि सॉरी मम्मी, मैंने जो कुछ भी किया है। उसकी कोई माफी नहीं है। मेरी कार मेरे मरने के बाद लोन फ्री हो जाएगी। अभी चौक में गिरवी है। साढ़े तीन लाख रुपये में छुड़वाकर बेच लेना। जो पैसा मिलें, उससे अपना गोल्ड निकलवा लेना।
कैपरी गोल्ड लोन में है। बाकी चौक में गुरुद्वारा वाली गली में ज्वैलर के पास सचिन के नाम से है। कैपरी मेरे नाम से है। मम्मी किसी से डरने की या प्रेशर में आने की जरूरत नहीं है। घर बेच देना मेरा और लोन सैटल करवा लेना। सब तुम्हारा है अब। हम नहीं चाहते कि तुम हम लोगों को नफरत से याद करो, बुरी याद समझकर भूल जाना। -आई लव यू, फ्रॉम शिवांगी, सचिन, फतेह
शिवांगी ने लिखा है कि कंपनी में कार बेचना, अच्छे पैसे मिलेंगे। थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। सबने थोड़ा सब्र रखा होता तो आज ये नहीं होता। सचिन ने बहुत सारी गलतियां की हैं, लेकिन उसने कुछ जानबूझकर नहीं किया। कुछ लोग मेरी वजह से मुसीबत में आए हैं। आई एम सॉरी यार, मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा था। अब जो हो रहा था, वो ठीक नहीं हो सकता, प्लीज मैनेज कर लेना, डोंट हेट मी प्लीज, एंड ट्राई टू अंडरस्टैंड माई सिचुएशन, मेरे घर वालों ने मेरा बहुत साथ दिया, उनकी कोई गलती नही है। शिवांगी ने सचिन के परिवार के बारे में भी लिखते हुए साथ न देने के आरोप लगाए हैं।
सचिन ने सुसाइड नोट काफी विस्तार से लिखा है। इसके करीब 13 पेज हैं, जिसमें उसने प्रताड़ित करने वालों और मदद नहीं करने वालों तक के नाम लिखे हैं। पुलिस को कारोबारी के मोबाइल से सुसाइड नोट के पेज मिले हैं, लेकिन पुलिस उसे सार्वजनिक नहीं कर रही है।
बताते हैं कि सुसाइड नोट में सूदखोरों के नाम लिखे हैं। सूदखोर कई बड़े लोगों के नजदीकी बताए जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस के तेवर ढीले पड़ गए हैं। पुलिस सुसाइड नोट का अध्ययन करने के बाद ही कुछ बताने की बात कह रही है। मृतक के परिवार के लोगों के पास भी सुसाइड नोट है।
गौरव ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाया। बेहतर आमदनी के साथ ही सचिन ग्रोवर खुले हाथ से खर्च करता था। सचिन के ऊपर कर्ज होने पर गौरव ने आगे आकर निपटाने का कार्य किया। बैंक के ऋण का सेटलमेंट कर निपटाया। कर्ज को लेकर परिवार में अनबन हो गई थी। सचिन की भाभी ज्योति व मां सीमा भी उनके मकान के हिस्से में नहीं जाते थे। ज्योति ने बताया कि खाना सबका एक साथ बनता था।