जम्मू/पठानकोट/गुरदासपुर : उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में प्रकृति के प्रकोप ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब और तवी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, वहीं पंजाब में रावी, सतलज और ब्यास नदियों के उफान ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, बारिश में कमी आने से राहत और बचाव कार्यों में तेजी आई है, लेकिन बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान ने चुनौतियां बढ़ा दी हैं।
जम्मू-कश्मीर में पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड तोड़ 380 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 1910 के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा है। उधमपुर में 629 मिलीमीटर बारिश ने 2019 के 342 मिलीमीटर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 34 हो गई है। चिनाब नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है, जबकि तवी नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है।
जम्मू रीजन के ज्यादातर हाईवे और दर्जनों पुल बह गए हैं, जिससे कई इलाकों का संपर्क कट गया है। पीरखो, गुज्जरनगर, आर.एस.पुरा, निक्की तवी, बेली चरन, गुरखानगर, अखनूर और परगवाल जैसे इलाके बाढ़ के पानी में डूबे हैं। अखनूर के परगवाल में बीएसएफ का एक कैंप बाढ़ की चपेट में आ गया। स्थानीय लोगों ने ट्यूब्स में हवा भरकर जवानों को बचाया, जिसके बाद रेस्क्यू टीमों ने बोट के जरिए बाकी लोगों को सुरक्षित निकाला। जम्मू-श्रीनगर हाईवे जगह-जगह टूट गया है और रामबन में ट्रकों का लंबा जाम लग गया है।