धनबाद : बच्चों को शिक्षा से जोड़कर समाज में पेश की अद्भुत मिसाल

Dhn-Teacher-Santosh

धनबाद-NewsXpoz (अमन्य सुरेश) : शिक्षक हमारे जीवन का वह अनमोल रत्न होते हैं, जो अंधेरे में भी ज्ञान का दीप प्रज्वलित कर देते हैं। जब हम अपने सपनों से भटक जाते हैं, तो हमें सही राह दिखाने वाले हमारे गुरु ही होते हैं।

शिक्षक दिवस के अवसर पर पूरा राष्ट्र ऐसे ही गुरुजनों को नमन करता है। इसी कड़ी में हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे शिक्षक से, जिन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बच्चों को शिक्षा से जोड़कर समाज में बदलाव की अद्भुत मिसाल पेश की है। यह कहानी है संतोष कुमार आनंद की, जो पिछले दो दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।

संतोष कुमार आनंद ने वर्ष 2003 में शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। शुरुआत से ही उनके भीतर कुछ अलग करने और समाज में शिक्षा की रोशनी फैलाने का जुनून था। उन्होंने विभिन्न सरकारी विद्यालयों में सेवा दी और हर जगह अपनी मेहनत, ईमानदारी और अनूठी शिक्षण शैली से बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य किया। उनकी इसी लगन और समर्पण ने उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा।

वर्ष 2021 में संतोष आनंद की नियुक्ति नक्सल प्रभावित क्षेत्र टुंडी प्रखंड के कटनियां उत्क्रमित उच्च विद्यालय में हुई। यह उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण अध्याय था। विद्यालय की स्थिति बेहद खराब थी। ग्रामीण इलाका होने की वजह से छात्र विद्यालय आना पसंद नहीं करते थे।शिक्षकों की भारी कमी थी। अभिभावकों में शिक्षा को लेकर जागरूकता का अभाव था। 

इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद संतोष आनंद ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने घर-घर जाकर अभिभावकों से बात की, उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया और बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे छात्रों की उपस्थिति बढ़ी और विद्यालय की तस्वीर बदलने लगी।

संतोष आनंद ने केवल पठन-पाठन पर ही जोर नहीं दिया, बल्कि विद्यालय की रूपरेखा सुधारने में भी जुट गए। साफ-सफाई और अनुशासन पर ध्यान दिया। सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों को बढ़ावा दिया। आज परिणाम यह है कि टुंडी का यह सरकारी विद्यालय शिक्षण गुणवत्ता और अनुशासन के मामले में धनबाद के कई निजी विद्यालयों को भी पीछे छोड़ चुका है।

संतोष आनंद केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील लेखक भी हैं। वर्ष 2024 में उन्होंने एक पुस्तक लिखी– ‘सृजन : एक कदम निर्माण की ओर’। यह पुस्तक समाज और शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर आधारित है और युवाओं को सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। यह पुस्तक आज भी कई लोगों के लिए मोटिवेशन का स्रोत है।

शिक्षा जगत में उनके योगदान को कई स्तरों पर सराहा गया है। वर्ष 2025 में उन्हें झारखंड के राज्यपाल ने सम्मानित किया। इसी वर्ष उनका नाम राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए भी भेजा गया।हालाँकि इस बार उनका चयन नहीं हो सका, लेकिन उन्होंने इसे असफलता मानने के बजाय आगे की तैयारी के लिए प्रेरणा बनाया।

राष्ट्रीय पुरस्कार की दौड़ से बाहर होने के बावजूद संतोष आनंद का जज्बा कम नहीं हुआ। उन्होंने बातचीत में कहा– “मैं और मेहनत करूंगा। दो वर्ष बाद फिर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए नामांकन करूंगा। इस बार केवल धनबाद ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड का नाम रौशन करूंगा।”

उनकी यह बात उनके आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच को दर्शाती है। संतोष आनंद के प्रयासों से न केवल विद्यालय की सूरत बदली बल्कि बच्चों का जीवन भी नया मोड़ लेने लगा।

छात्र पढ़ाई में रुचि लेने लगे। कई बच्चे अब प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं भी शिक्षा के महत्व को समझकर आगे बढ़ रही हैं।

आज जब कई शिक्षक केवल औपचारिकता निभाने तक सीमित हैं, ऐसे में संतोष कुमार आनंद जैसे गुरु समाज में नई उम्मीद जगाते हैं। उन्होंने दिखाया कि यदि संकल्प और समर्पण हो तो किसी भी क्षेत्र की परिस्थितियों को बदला जा सकता है। उनकी कहानी हम सबके लिए प्रेरणा है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर कोने में रोशनी फैलाने का माध्यम है।

शिक्षक दिवस पर जब हम अपने गुरुजनों को नमन करते हैं, तो संतोष कुमार आनंद जैसे शिक्षकों का नाम अग्रणी पंक्ति में आता है। उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाकर यह साबित किया है कि सच्चा शिक्षक वही है, जो अंधेरे में भी रोशनी की राह दिखा सके।

धनबाद के इस शिक्षक ने यह भी दिखा दिया कि सरकारी विद्यालय भी अनुशासन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर वातावरण के दम पर निजी संस्थानों से आगे निकल सकते हैं। निस्संदेह, आने वाले समय में संतोष कुमार आनंद शिक्षा जगत की प्रेरणास्रोत शख्सियत के रूप में याद किए जाएंगे। शिक्षक दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि उन गुरुजनों की मेहनत, संघर्ष और समर्पण को याद करने का अवसर है, जो समाज की नींव को मजबूत करते हैं।