रांची : झारखंड में कुर्मी समाज शनिवार से अपने एसटी (अनुसूचित जनजाति) दर्जे की मांग और कुर्माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के समर्थन में अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका’ (रेल रोको) आंदोलन शुरू करेगा। आदिवासी कुर्मी समाज के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आदिवासी कुर्मी समाज के सदस्य और कुर्मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने पीटीआई को बताया कि समाज के लोगों से कहा गया है कि वे रेलवे ट्रैक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें। रेलवे यातायात बाधित करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या किसी भी तरह की हिंसा में शामिल न हों।
उन्होंने कहा, “हम कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश से अवगत हैं और सुनिश्चित करेंगे कि रेलवे ट्रैक पर होने वाले प्रदर्शन शांतिपूर्ण हों। किसी भी स्थिति में सदस्य रेलवे संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और न ही हिंसा करेंगे। पुलिस या रेलवे सुरक्षा बल अगर हटाने या एहतियातन हिरासत में लेने की कोशिश करे, तो सदस्य कोई प्रतिरोध न करें।”
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 20 सितम्बर को कुर्मी समाज के रेल और सड़क जाम के कार्यक्रम को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है और रेलवे तथा राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और आम जनता की आवाजाही बाधित न हो। आदिवासी कुर्मी समाज ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के विस्तृत छोटानागपुर क्षेत्र में रेल और सड़क जाम का आह्वान किया है।
ओहदार ने कहा कि आंदोलन में शामिल सदस्यों से पारंपरिक हथियार न लाने की अपील की गई है। उन्होंने कहा, “हम आंदोलन के दौरान झूमर (पारंपरिक नृत्य) करेंगे और अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाएंगे। झारखंड में कुर्मी समाज के नेता रांची के पास मुरी स्टेशन, रामगढ़ के बरकाकाना, गिरिडीह के पारसनाथ, बोकारो के चंद्रपुरा, धनबाद के प्रधान घंटा, पूर्वी सिंहभूम के गालूडीह, पश्चिमी सिंहभूम के सोनुआ, गोड्डा और जामताड़ा में शनिवार सुबह से रेलवे ट्रैक के पास धरने पर बैठेंगे। ओहदार ने कहा, “हम नहीं चाहते कि आंदोलन से आम जनता परेशान हो। अगर गृह मंत्री अमित शाह हमारी मांग पर बैठक करें तो हम आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार हैं।”
कोविड-19 महामारी के बाद 2022 में कुर्मी समाज का यह आंदोलन जोर पकड़ने लगा था। तब झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई रेलवे स्टेशनों पर रेल रोको आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन 20 सितम्बर 2022 से शुरू हुआ और करीब 9 दिन चला। 2023 में भी 20 सितम्बर से आंदोलन हुआ जो 7-8 दिन तक जारी रहा। 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के कारण कोई आंदोलन नहीं हुआ।
इधर, संयुक्त आदिवासी संगठन से जुड़े कई आदिवासी संगठनों ने शनिवार को राजभवन के पास धरना देने का फैसला किया है। वे कुर्मी समाज की एसटी दर्जे की मांग का विरोध करेंगे। संगठन की प्रवक्ता निरंजन टोप्पो ने दावा किया कि कुर्मी समाज की मांग अवैध है और इस आंदोलन से रेलवे को भारी नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें कुर्मी समाज के आंदोलन का विरोध दर्ज कराया जाएगा।
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने शुक्रवार को पुलिस को सतर्कता बढ़ाने, अतिरिक्त बलों को सुरक्षात्मक उपकरणों के साथ तैनात करने, संवेदनशील स्टेशनों पर सीसीटीवी और ड्रोन लगाने, और रेलवे पुलिस के साथ समन्वय कर पथराव रोकने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।