आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नवरात्रि का तीसरा दिन होता है और इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. आज मां चंद्रघंटा की पूजा के दिन 2 शुभ योग इंद्र और रवि योग बने हैं. मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है, जिसमें उन्होने असुरों का संहार किया था.
इस देवी की पूजा करने से व्यक्ति को साहस, पराक्रम के साथ शत्रुओं पर विजय मिलती है. उसके यश और कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है.
शारदीय नवरात्रि तीसरे दिन का मुहूर्त
आश्विन शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ : आज, 04:51 ए एम से
आश्विन शुक्ल तृतीया तिथि का समापन : कल, 07:06 ए एम तक
ब्रह्म मुहूर्त : 04:35 ए एम से 05:23 ए एम
निशिता मुहूर्त : 11:49 पी एम से देर रात 12:37 ए एम तक
इन्द्र योग : आज, प्रात:काल से लेकर 09:03 पी एम तक
रवि योग : 04:16 पी एम से कल 06:11 ए एम तक
मां चंद्रघंटा का स्वरूप : मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार होने वाली देवी हैं, जिनकी 10 भुजाएं हैं. वे अपनी भुजाओं में धनुष, बाण, तलवार, त्रिशूल, चक्र, गदा, कमंडल, कमल, माला आदि धारण करती हैं. उनके माथे पर एक चंद्रमा प्रकाशवान होता है. इस वजह से इस देवी का नाम मां चंद्रघंटा पड़ा.
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि : आज सुबह स्नान के बाद मां चंद्रघंटा की पूजा का संकल्प लें. उसके बाद गंगाजल से मां चंद्रघंटा को स्नान कराएं. फिर अक्षत्, पीले फूल, सफेद कमल के फूल, सिंदूर, फल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से देवी का पूजन करें. उनको सेब, केला, खीर, दूध आदि का भोग लगाएं. पूजा के समय मां चंद्रघंटा का प्रार्थना मंत्र, स्तुति मंत्र का उच्चारण करें. उसके बाद आरती करें.
नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साहस और पराक्रम बढ़ता है, शत्रुओं पर विजय मिलती है. दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. शादीशुदा जीवन की समस्याएं खत्म होती है. जिनकी शादी में देरी हो रही है, उनके लिए विवाह का योग बनता है. देवी के आशीर्वाद से व्यक्ति के यश और कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है. जीवन के अंत में मोक्ष भी मिलता है.