अंडमान : 20 साल बाद फटा भारत का इकलौता मिट्टी का ज्वालामुखी, पर्यटकों की आवाजाही पर रोक

Indonesia-volcano

पोर्ट ब्लेयर : अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में दो दशक से शांत पड़ा भारत का एकमात्र मिट्टी का ज्वालामुखी (मड वोल्केनो) अब फिर फट पड़ा है। द्वीप समूह के बरातांग इलाके में यह धमाका दो अक्तूबर को बहरा कर देने वाली जोरदार आवाज के साथ हुआ। बरातांग उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित है और पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है क्योंकि यहां भारत का इकलौता मिट्टी का ज्वालामुखी है।

एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया,यहां का मड ज्वालामुखी तब बनता है,जब सड़ी-गली जैविक सामग्री (कार्बनिक पदार्थों) से बनी पृथ्वी की गहराई में फंसी गैसें मिट्टी और गैस को सतह पर धकेल देती हैं। इससे बुलबुले और गड्ढे बनते हैं। पर्यटकों के लिए बरातांग का यह ज्वालामुखी द्वीप समूह के दर्शनीय स्थलों में से एक है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक,दो अक्तूबर को दोपहर करीब 1:30 बजे हमें जरवा क्रीक बरातांग में मिट्टी के ज्वालामुखी के तेज धमाके की सूचना मिली। यहां आखिरी बड़ा विस्फोट 2005 में हुआ था। उन्होंने बताया कि विस्फोट के बाद एक बहरा कर देने वाली,धमाके जैसी आवाज आई। सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने वन अधिकारियों के साथ घटनास्थल का दौरा किया।

अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट से करीब तीन–चार मीटर ऊंचा मिट्टी का ढेर बन गया और गीली मिट्टी 1,000 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैल गई। यह ज्वालामुखी अभी भी सक्रिय है और लगातार मिट्टी व धुआं निकल रहा है। सुरक्षा एहतियात के तौर पर पर्यटकों की आवाजाही रोक दी गई है और वन विभाग ने सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। इस घटना की जानकारी भू-विज्ञान विभाग को भी दी गई है। पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए सभी सुरक्षा उपाय किए गए हैं। पुलिस ने फाइबर बोट मालिक संघ और स्थानीय पर्यटक वाहन मालिकों को ज्वालामुखी स्थल की ओर यात्राएं रोकने की सूचना दी है।

दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में, 13 और 20 सितंबर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर आठ दिनों के अंतराल में दो बार मामूली ज्वालामुखी विस्फोट हुए। यह निर्जन द्वीप पोर्ट ब्लेयर से समुद्र के रास्ते 140 किलोमीटर दूर है और भारतीय और बर्मी टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर है। इसका क्षेत्रफल 8.34 वर्ग किलोमीटर है। इसके सबसे नजदीकी आबादी वाले इलाके स्वराज द्वीप (हेवलॉक) और नारकोंडम लुकआउट पोस्ट हैं, जो इससे क्रमशः 140–150 किलोमीटर की दूरी पर हैं।

अंडमान और निकोबार प्रशासन के अभिलेखागार में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, बैरन द्वीप पर पहली बार 1787 में विस्फोट हुआ था। इसके बाद 1991, 2005, 2017 और सबसे हाल में नवंबर 2022 में छोटे विस्फोट हुए। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बरातांग का मिट्टी का ज्वालामुखी और बैरन द्वीप का सक्रिय ज्वालामुखी अलग-अलग जगह हैं और दोनों एक से नहीं है। सितंबर में जो विस्फोट हुआ था वह बैरन द्वीप पर था, जबकि दो अक्तूबर को जो घटना हुई वह बरातांग के मिट्टी के ज्वालामुखी की है।