नई दिल्ली : समंदर में पाकिस्तान और चीन की साजिशों को करारा जवाब देने हिंदुस्तान की वो ताकत उतर चुकी है जिससे पार पाना दुश्मन के लिए असंभव है. INS आन्द्रोत नाम से भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा एंटी सबमरीन वॉरशिप भारतीय बेड़े में शामिल हो चुका है. INS आन्द्रोत की एंट्री से दुश्मनों की टेंशन भी डबल हो गई है. समंदर पर राज करने के लिए बनाए गए समुद्री शहंशाह आंद्रोत के चर्चे पड़ोसी देशों तक हो रहे हैं. पावर, रफ्तार, तकनीक और स्वदेशी निर्माण जैसे फैक्टरों से मिलकर बना समुद्री शक्तिपुंज आंद्रोत, मोर्चा संभालने के बाद मुस्तैदी से काम कर रहा है.
नापाक गाजी का निकल जाएगा कचूमर! : पाकिस्तान के सीने पर मूंग दलते हिंदुस्तान के दूसरे एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ASW-SWC का जलावतरण हो गया जिसका नाम आन्द्रोत रखा गया है. कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड के इस शाहकार के सामने दुश्मन देश की पनडुब्बियां को कचूमर निकल जाएगा. ये अदृश्य शिकारी हिन्दुस्तान की जलीय सीमा में प्रवेश करने वाली सबमरीन के परखचे उड़ा देने की ताकत रखता है. इस एंटी सबमरीन का नामकरण लक्षद्वीप द्वीपसमूह के आन्द्रोत के नाम पर किया गया है. इस नाम से पहले भी एक जहाज नौसेना में 27 साल तक सेवा दे चुका है. इस नाम को पुनर्जीवित करना नौसैनिक परंपरा और सेवा भावना का सम्मान करना है.
आंद्रोत की खासियत :
- ये एक ऐसा युद्धपोत है जो पानी के भीतर दुश्मन की पनडुब्बियों को तबाह कर सकता है. आन्द्रोत करीब 80 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से बना है.
- यानी मेक इन इंडिया की ताकत की सबसे ताजा मिसाल है. इसकी लंबाई 77.6 मीटर है इसका वजन 1500 टन और रफ्तार 25 नॉट यानी 46 किलोमीटर प्रतिघंटा है. आन्द्रोत आधुनिक हथियारों और कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस है. आन्द्रोत की दो खासियत के बारे में जानना बहुत जरूरी है.
पहली खासियत-शैलो वाटर्स : इसका मतलब है कि ये जहाज उथले पानी में दुश्मन के सबमरीन से लड़ने में माहिर है. यानी अगर कोई सबमरीन भारत के तट के नजदीक आई तो इस जहाज को पता चल जाएगा और वो न सिर्फ पता करेगा, बल्कि समय रहते उन्हें तबाह भी करेगा जिससे वो भारत के नेवल बेस या तट के नजदीक किसी मिलिट्री ठिकाने पर हमला न कर पाए.
दूसरी खासियत-वाटर जेट प्रोपल्शन : इसमें लगा एक सिस्टम है जिसे वाटर जेट प्रोपल्शन कहते हैं. ये पूरी तरह से न्यूटन के तीसरे लॉ पर काम करता है. तीसरा लॉ ये कहता है हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और वो भी बिल्कुल बराबर. इसी लॉ का इस्तेमाल वाटर जेट प्रोपल्शन में किया जाता है. इस सिस्टम में एक पंप के जरिए पानी को खींचा जाता है. इसके बाद इसे एक नोजल से गुजारा जाता है जहां इसे और स्पीड दी जाती है. आखिर में इसे जहाज के पीछे लगे नोजल से पूरे फोर्स के साथ छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से जहाज आगे बढ़ता है.