करवा चौथ आज, जानें पूजा विधि व चांद निकलने का समय

Karwaa-Chouth

नई दिल्ली : करवा चौथ हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू हो जाते है और रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद इसका पारण किया जाता है।

इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन पानी नहीं पीती हैं। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में इस दिन पूजा करने से और चंद्र दर्शन करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बनता है। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि साल 2025 में 10 अक्टूबर को चंद्र दर्शन का समय कब होगा, किस विधि से इस दिन पूजा करनी चाहिए और चंद्रोदय का समय क्या होगा।

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता है। ऐसे में 10 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 18 मिनट से व्रत प्रारंभ हो जाएगा। व्रत का पारण रात्रि को चंद्रोदय के बाद किया जाएगा। इस दिन चंद्रमा रात्रि 8 बजकर 12 मिनट पर उदय होगा।

करवा माता की पूजा के लिए शुभ समय सूर्यास्त के बाद शुरू हो जाएगा। इस दिन सूर्यास्त 5 बजकर 57 मिनट पर होगा। चंद्रमा के निकलने से पूर्व आपको करवा माता की पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए। इसके बाद छलनी के जरिए चंद्रमा और पति के दर्शन के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

करवा चौथ की पूजा चंद्र दर्शन के बिना अधूरी है इस दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात्रि 8 बजकर 12 मिनट पर होगा।

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू हो जाता है। सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर सरगी का सेवन व्रत लेने वाली महिलाओं को इस दिन कर देना चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प आपको लेना चाहिए और देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

करवा चौथ की मुख्य पूजा शाम के समय होती है इसलिए पूजा के लिए संपूर्ण तैयारी आपको शाम से पहले ही कर लेनी चाहिए। इस दिन आपको चौकी पर आटे से करवा का चित्र बनाया जाता है। अगर यह संभव न हो तो आप करवा चौथ का कोई प्रिंट किया हुआ चित्र लगा सकते हैं। शाम के समय करवा की पूजा शुरू करने से पहले आपको गणेश जी की प्रार्थना सबसे पहले करनी चाहिए।

इसके बाद मिट्टी के करवा में जल भरने के बाद इसको पूजा के स्थान पर रखना चाहिए। इसके बाद गणेश जी के साथ ही माता पार्वती, शिवजी, चंद्र देवी की पूजा आपको करनी चाहिए। साथ ही धूप-दीप जलाकर अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करने चाहिए। पूजा के दौरान महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री भी दान कर सकती हैं।

इसके बाद आपको करवा चौथ की व्रत का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए। इसके बाद चंद्र दर्शन करें और पति के हाथ से जल ग्रहण करें। अंत में देवी-देवताओं से अपनी भूल के लिए माफी मांगें और प्रसाद वितरित कर व्रत का पारण करें।

करवा माता की तस्वीर, छलनी, मिट्टी का करवा (कलश), दही, देसी घी, शक्कर, शहद, नारियल, करवाचौथ व्रत कथा पुस्तक, अगरबत्ती, मौली, कुमकुम, अक्षत, रोली, चंदन, फूल, हल्दी, मिठाई, कच्चा दूध, फल, हलवा, पका हुआ भोजन, शुद्ध जल आदि।

करवा चौथ की कथा एक साहूकार के सात बेटों और एक बेटी से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार, बहन और सभी भाई शादीशुदा थे एक बार कार्तिक पूर्णिमा पर भाईयों के साथ थी और उसने भाईयों के घर में ही करवा चौथ का व्रत रखा था।

रात्रि में जब भाईयों ने बहन को भोजन ग्रहण करने के लिए कहा तो बहन ने यह कहकर इनकार कर दिया की चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन करेगी। बहन से प्रेम करने वाले सातों भाईयों ने इसके बाद जंगल में जाकर एक पेड़ पर जाकर अग्नि जला दी बहन से कहा कि चांद निकल आया। बहन ने भाईयों की बात को मानते हुए चांद के दर्शन के बाद भोजन कर लिया।

ऐसा करते ही बहन का व्रत भंग हो गया और गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण बहन का पति बीमारियों से ग्रस्त और धनहीन हो गया। जब साहुकार की बेटी को दोष का पता लगा तो उसने विधि-पूर्वक चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा की। इसके बाद गणेश जी ने उसके पति को जीवनदान दिया और साथ ही उसके जीवन में सुख-संपन्नता भी आयी। माना जाता है कि जो भी सुहागन महिला विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखती है तो उसे दांपत्य जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं।

करवा चौथ का व्रत केवल उपवास का ही नहीं, बल्कि सुहागिन महिलाओं के श्रृंगार का भी विशेष दिन माना जाता है। इस दिन सोलह श्रृंगार करना बेहद शुभ होता है। खासकर हाथों में मेहंदी लगाना और पूरे श्रृंगार से सजना, चौथ माता को प्रसन्न करता है। मान्यता है कि इससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

करवा चौथ एक पवित्र दिन है और विवाहित महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इसलिए पतियों को भी कुछ नियमों का पालन इस दिन करना चाहिए। खासकर खानपान से जुड़े नियम। पति को गलती से भी इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और पत्नी के साथ बुरा व्यवहार करने से भी बचना चाहिए।

करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर सूर्योदय के साथ शुरू हो जाएगा। वहीं चंद्रोदय पर व्रत की समाप्ति होगी। इस दिन चंद्रोदय रात्रि लगभग 8 बजकर 12 मिनट पर होगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह व्रत 14 घंटे का होगा।

धार्मिक मान्यताओं में सरगी के समय नमक खाने को लेकर कोई मनाही नहीं है। हालांकि सरगी के दौरान नमक का सेवन करने से बचना ही चाहिए। ऐसा इसलिए किन नमक के कारण आपको प्यास लग सकती है और करवा चौथ का व्रत निर्जला रखने का विधान है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन बाल धोना अच्छा नहीं माना जाता। बाल धोने से शरीर पर पानी टपकता है और शरीर की ऊर्जा विचलित होती है। इसलिए महिलाओं को नहाते वक्त इस दिन बाल नहीं धोने चाहिए।

10 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन व्रत का शुभारंभ सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा। हालांकि सरगी सूर्योदय से पहले ग्रहण करना ही शुभ रहेगा। सुबह की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 9 बजे तक रहेगा।

चंद्रमा के दर्शन करते समय विवाहित महिलाओं को पूजा की थाली में कुछ चीजें जरूर रखनी चाहिए। जैसे- दीपक, चंदन, अक्षत, कुमकुम, छलनी, पानी का लोटा। इन चीजों के बिना चंद्रमा के दर्शन अधूरे रहते हैं।

व्रत रखने वाली विवाहित महिलाओं को करवा चौथ के दिन गलती से भी काले और सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन लाल, गुलाबी और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

करवा चौथ के व्रत के दिन पारण के बाद महिलाओं को गलती से भी कच्ची सब्जियां, मसालेदार भोजन और तैलीय चीजों को खाने से बचना चाहिए। इन चीजों को व्रत के दिन खाना अच्छा नहीं माना जाता। करवा चौथ 10 अक्टूबर को है और इस दिन सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण की जाती है। 10 अक्टूबर को सरगी ग्रहण करने का शुभ समय सुबह 4 बजकर 35 मिनट से 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।