नई दिल्ली : खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार कमी की वजह से भारत की रिटेल इंफ्लेशन सितंबर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 2-6% के टारगेट से नीचे 1.54% पर आ गई, जो अगस्त में 2.07% थी. जून 2017 के बाद से इंफ्लेशन का ये सबसे लो लेवल है. यानी की 8 सालों में सबसे कम महंगाई सितंबर 2025 में ही कम हुई है.
रॉयटर्स ने 38 इकोनॉमिस्ट्स से सर्वे किया, जिसमें अनुमान था कि सितंबर में रिटेल इंफ्लेशन 1.70% तक कम हो सकता है. खाने-पीने की चीजों की इंफ्लेशन, जो कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का लगभग आधा हिस्सा है, सितंबर में और घटकर -2.28% हो गई, जबकि पिछले महीने ये -0.69% थी. हाल के महीनों में खाने की चीजों की कीमतें पिछले साल के हाई लेवल से बहुत कम हुई हैं, खासकर सब्जियों की कीमतें अप्रैल से डबल डिजिट में गिर रही हैं.
कीमतों का प्रेशर लगातार सात महीने से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 4% टारगेट से नीचे है. इकोनॉमिस्ट्स को लग रहा था कि इस साल इन्फ्लेशन कंट्रोल करने वाला बेस इफेक्ट अगस्त में खत्म हो जाएगा, लेकिन ऑफिशियल डेटा दिखाता है कि खाने की कीमतें पिछले साल के मुकाबले कंट्रोल में रहीं, और ये ट्रेंड सितंबर में भी शायद जारी रहा.
जीएसटी का दिखा असर : नवीनतम डेटा दिखाता है कि कीमतों का प्रेशर कम रहने की संभावना है और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को आसान करने से आने वाले महीनों में भी कीमतें कंट्रोल में रहेंगी. इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बेहतर सप्लाई और लागत के दबाव में कमी का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने इंफ्लेशन अनुमान को 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया. लेकिन इन्फ्लेशन का आंकड़ा इससे भी कम आया है.
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 1 अक्टूबर को कहा कि हाल ही में जीएसटी दरों को आसान करने से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) की कई चीजों की कीमतें कम होंगी. कुल मिलाकर इंफ्लेशन के आंकड़े अगस्त में लगाए गए अनुमान से कम रहने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण जीएसटी दरों में कटौती और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी है.
इंफ्लेशन आरबीआई के 4% के मिड-टर्म टारगेट से काफी नीचे होने के कारण, एनालिस्ट्स को उम्मीद है कि नीति निर्माता इकोनॉमी को बढ़ावा देने पर फोकस करेंगे. इकोनॉमिस्ट्स ने दिसंबर की मीटिंग में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की और कटौती की उम्मीद जताई है. आरबीआई ने इस साल की शुरुआत से अब तक ब्याज दरों में 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है.