दिवाली आज, इतने बजे से शुरू होगा लक्ष्मी-गणेश पूजन-मुहूर्त

Deepawali-Today

हर साल की तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि दीपावली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाएगा. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है. इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है. पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं.

पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर यानी आज दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. हर साल यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान राम चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था, इसी वजह से दिवाली का पर्व मनाया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को इच्छापूर्ति का आशीर्वाद देती हैं.

पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर यानी आज दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगा.

आज दिवाली की पूजा के लिए 2 खास मुहूर्त प्राप्त होंगे. जिसमें पहला मुहूर्त प्रदोष काल है, इस दिन प्रदोष काल की शुरुआत शाम 5 बजकर 46 मिनट से होगी और इसका समापन रात 8 बजकर 18 मिनट पर होगा. इसके अलावा, स्थिर लग्न का वृषभ काल में भी मां लक्ष्मी के पूजन का अच्छा मुहूर्त माना जाता है जो कि शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगा. इन दोनों मुहूर्तों के अलावा, मां लक्ष्मी की पूजा का खास मुहूर्त शाम 7 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 11 मिनट की रहेगी. इसके अलावा, इस दिन महानिशीथ काल मध्य रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अर्धरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

दिवाली के दिन पूजा करने से पहले कुछ इकट्ठी कर लें जिसमें शामिल हैं रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, पूजा की चौकी, लाल कपड़ा, पान, सुपारी, पंचामृत, रुई की बत्ती, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, कलश, आम के पत्ते, मौली, जनेऊ, दूर्वा, कपूर, धूप, दीपक, खील, बताशे, मिठाई आदि.

दिवाली की शाम सबसे पहले पूजा की चौकी पर नया कपड़ा बिछाएं. फिर, उसके ऊपर रोली से स्वास्तिक और नवग्रह बनाएं. उसके बाद वहां पर गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापना करें. अखंड दीपक जलाएं. कलश की स्थापना करें. पूजा के समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. फिर, गंगाजल अपने ऊपर छिड़कें. माथे पर तिलक लगाएं. फिर, गणेश जी और मां लक्ष्मी को गंगाजल से स्नान कराएं. उसके बाद चंदन, अक्षत, पुष्प, पान, फल, खील, बताशे, मिठाई अर्पित करें. फिर, गणेश जी और मां लक्ष्मी के मंत्र पढ़ें. पूजा के अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें.