नई दिल्ली : धार्मिक मान्यताओं अनुसार हमारे कर्मों का लेखा-जोखा भगवान चित्रगुप्त ही रखते हैं। इसलिये चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम-दवात (Kalam Dawat Puja 2025) और बही-खातों की पूजा भी की जाती है। कलम दवात को मस्याधार भी कहा जाता है, इसलिये चित्रगुप्त पूजा को कई जगहों पर मस्याधार पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहायक के रूप में पूजे जाते हैं। चित्र सहित सभी के गुप्त कर्मों का लेखा-जोखा रखने के कारण ही उन्हें चित्रगुप्त कहा गया है। चलिए जानते हैं चित्रगुप्त पूजा कैसे की जाती है।
चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त 2025
चित्रगुप्त पूजा23 अक्टूबर 2025, गुरुवार
चित्रगुप्त पूजा अपराह्न मुहूर्त01:19 PM से 03:35 PM
द्वितीया तिथि प्रारम्भ 22 अक्टूबर 2025 को 08:16 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त23 अक्टूबर 2025 को 10:46 पी एम बजे
चित्रगुप्त पूजा सामग्री लिस्ट
धूप, दही, दूब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम, दवात, कागज, लाल फूल, हल्दी, रोली, पान, सुपारी, दीप, चन्दन, अक्षत, गुड़, पांच फल, पांच मिठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन सामग्री एवं हवन के लिए लकड़ी आदि ।
चित्रगुप्त पूजन विधि
सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें। इसके बाद दवात, कलम, पत्र-पूजन, बहीखातों और तलवार की स्थापना कर नीचे दी गयी विधि से पूजन शुरू करें। पूजन सामग्री पर पवित्र जल छिड़कते हुए प्रभु का स्मरण करें साथ ही ये मंत्र पढ़ें- नमस्तेस्तु चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते । लेखनी-मसिपात्र, हस्ते, चित्रगुप्त नमोस्तुते ।।
स्वस्तिवाचन :
ॐ गणना त्वां गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वां प्रियेपत्र हवामहे निधीनां त्वां निधिपते हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधामा त्वमजासि गर्भधम ।
ॐ गणपत्यादि पंचदेवा नवग्रहाः इन्द्रादि दिग्पाला दुर्गादि महादेव्यः इहा गच्छत स्वकीयाम् पूजां ग्रहीत भगवतः चित्रगुप्त देवस्य पूजमं विघ्नरहित कुरूत ।
प्रभु का करें ध्यान और बोलें ये मंत्र :
तच्छरी रान्महाबाहुः श्याम कमल लोचनः कम्वु ग्रीवोगूढ शिरः पूर्ण चन्द्र निभाननः ||
काल दण्डोस्तवोवसो हस्ते लेखनी पत्र संयुतः | निःमत्य दर्शनेतस्थौ ब्रह्मणोत्वयक्त जन्मनः ||
लेखनी खडगहस्ते च- मसि भाजन पुस्तकः | कायस्थ कुल उत्पन्न चित्रगुप्त नमो नमः ||
मसी भाजन संयुक्तश्चरोसि त्वं महीतले | लेखनी कठिन हस्ते चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त नमस्तुभ्यं लेखकाक्षर दायक | कायस्थ जाति मासाद्य चित्रगुप्त मनोस्तुते ||
योषात्वया लेखनस्य जीविकायेन निर्मित | तेषा च पालको यस्भात्रतः शान्ति प्रयच्छ मे ||
दवात -लेखनी मंत्र :
लेखनी निर्मितां पूर्व ब्रह्यणा परमेष्ठिना |
लोकानां च हितार्थाय तस्माताम पूजयाम्ह्यम||
पुस्तके चर्चिता देवी , सर्व विद्यान्न्दा भवः |
मदगृहे धन-धान्यादि-समृद्धि कुरु सदा ||
लेखयै ते नमस्तेस्तु , लाभकत्रर्ये नमो नमः |
सर्व विद्या प्रकाशिन्ये , शुभदायै नमो नमः ||
अब श्री चित्रगुप्त भगवान को चन्दन, हल्दी, रोली अक्षत, पुष्प, फल और धूप अर्पित कर विधि विधान पूजा अर्चना करें। भगवान को इस दिन फल, पंचामृत और पान सुपारी का भोग जरूर लगायें। भगवान के समक्ष किताब, कलम, दवात जरूर रखें। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य को एक सफेद कागज पर दही और रोली से स्वस्तिक बनाना है। फिर उसके नीचे इन पांच देवी देवताओं के नाम लिखें।
॥ श्री गणेशाय नमः॥
॥ श्री चित्रगुप्ताय नमः ॥
॥ श्री शिवाय नमः॥
॥ श्री सरस्वत्यै नमः ॥
॥ श्रीं महालक्ष्मयै नमः ॥
फिर इसके नीचे एक तरफ अपना नाम, पता और तारीख लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय-व्यय का विवरण लिखें। इसके साथ ही अगले साल के लिए धन हेतु भगवान से निवेदन करें। फिर इस कागज पर अपने हस्ताक्षर करें। ध्यान रहे कि इस कागज और अपनी कलम को दही – हल्दी, रोली, अक्षत और मिठाई भोग स्वरूप जरूर अर्पित करें।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने से बुद्धि, वाणी और लेखन का आशीर्वाद मिलता है। व्यापारियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। वे इस दिन नई किताबों पर ‘श्री’ लिखकर काम की शुरुआत करते हैं। इसके अलावा अपने सभी आय-व्यय का विवरण चित्रगुप्त जी के सामने रखते हैं। कहा जाता है कि चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यापार में उन्नति का वरदान मिलता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। NewsXpoz एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)