नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति के शी जिनपिंग के बीच दक्षिण कोरिया के बुसान में बैठक शुरू हो गई है। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर जारी है। यह दुनिया की 2 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार मुद्दों पर महीनों की उथल-पुथल के बाद संबंधों को स्थिर करने का मौका है। ट्रंप और शी की मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं।
बैठक से पहले अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि ट्रंप चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की अपनी हालिया धमकी को पूरा करने का इरादा नहीं रखते हैं। चीन ने भी संकेत दिए हैं कि वह रेयर अर्थ मिनरल्स पर अपने निर्यात नियंत्रण में ढील देने और अमेरिका से सोयाबीन खरीदने को तैयार है। दक्षिण कोरिया जाते समय एयर फोर्स वन में सवार होकर ट्रंप ने पत्रकारों से कहा था कि वह इस साल की शुरुआत में चीन पर फेंटेनाइल बनाने में उसकी भूमिका के संबंध में लगाए गए टैरिफ को कम कर सकते हैं।
ट्रंप ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि टैरिफ कम किया जाएगा क्योंकि मेरा मानना है कि वो फेंटेनाइल मामले में हमारी मदद करेंगे।” बाद में उन्होंने आगे कहा, “चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं।” यह बैठक दक्षिण कोरिया के बुसान में होगी, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मुख्य स्थल ग्योंगजू से लगभग 76 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एक बंदरगाह शहर है। बुधवार रात अन्य APEC नेताओं के साथ रात्रिभोज में ट्रंप माइक्रोफोन पर यह कहते हुए सुने गए कि शी जिनपिंग के साथ उनकी बैठक “तीन, चार घंटे” की होगी और फिर वो वाशिंगटन लौट जाएंगे।
अमेरिका और चीन के अधिकारियों ने हाल ही में कुआलालंपुर में मुलाकात की थी। इसके बाद, चीन के शीर्ष व्यापार वार्ताकार ली चेंगगांग ने कहा था कि वो एक शुरुआती सहमति पर पहुंच गए हैं, जिसकी पुष्टि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी की थी। बेसेंट ने कहा था कि यह एक बहुत ही सफल रूपरेखा है। बयानबाजी चाहे कितनी भी सौहार्दपूर्ण क्यों ना हो, ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं। ऐसे में ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनकी शी के साथ ताइवान की सुरक्षा जैसे मुद्दों को उठाने की कोई योजना नहीं है।
ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति के बीच शी जिनपिंग के बीच यह मुलाकात 2019 के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी, जो अमेरिका-चीन संबंधों की भविष्य की दिशा निर्धारित कर सकती है। यह बैठक व्यापार में जटिल संबंधों को सुलझाने और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.
