नई दिल्ली : भारत ने अपने पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भारतीय वायु सेना के अभ्यास के लिए एयरमेन को नोटिस (NOTAM) जारी किया है। सेना की तरफ से छह दिनों के लिए नोटम जारी किया गया है। इस दौरान भारतीय सेना चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं को पास अभ्यास करेगी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ महीनों में कई दिनों के लिए NOTAM जारी किए गए हैं। पहला सेट 6 नवंबर और 20 नवंबर को होगा, उसके बाद 4 दिसंबर और 18 दिसंबर को दूसरा दौर होगा। वायुसेना ने पूर्वोत्तर में अपने बड़े पैमाने पर संचालन और अभ्यास जारी रखने के लिए 1 जनवरी और 15 जनवरी को अतिरिक्त नोटम भी जारी किए हैं।
इस दौरान, भारतीय वायु सेना क्षेत्र के विभिन्न अग्रिम ठिकानों और हवाई अड्डों पर व्यापक युद्ध प्रशिक्षण, समन्वित उड़ानें और रसद अभ्यास करेगी। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, जिसकी सीमाएं चीन सहित चार देशों से लगती हैं। भारतीय वायु सेना के आगामी अभ्यासों से इस क्षेत्र में भारत के हवाई प्रभुत्व और परिचालन तालमेल को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
भारतीय सेना ने हाल ही में रेगिस्तानी क्षेत्र में ‘वायु समन्वय-II’ का सफल आयोजन किया। यह अभ्यास दक्षिणी कमानके अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य ड्रोन एवं काउंटर-ड्रोन अभियानों की क्षमता को वास्तविक एवं चुनौतीपूर्ण युद्ध परिस्थितियों में परखना था।
इस अभ्यास के दौरान थल एवं वायु संपदाओं के बीच निर्बाध समन्वय का प्रदर्शन किया गया। अभ्यास ने यह भी सिद्ध किया कि भारतीय सेना अब डॉक्ट्रिनल वैलिडेशन और स्वदेशी तकनीकों के प्रयोग में विश्वस्तरीय स्तर पर अग्रसर है। यह भारत की अनमैन्ड सिस्टम्स और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस में बढ़ती क्षमता को भी दर्शाता है।
गुरुवार को भारत ने पाकिस्तान सीमा पर 12-दिवसीय त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास ‘अभ्यास त्रिशूल’ शुरू किया, जो छह महीने पहले हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश का पहला बड़ा युद्धाभ्यास है। इस अभ्यास में विशेष बल, मिसाइल, युद्धपोत, युद्धक टैंक और राफेल तथा सुखोई Su-30 जैसे अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान समन्वित अभियानों के लिए एक साथ आएंगे।
इस कृत्रिम अभ्यास में दक्षिणी पाकिस्तान को निशाना बनाकर आक्रामक हमले के परिदृश्य शामिल होंगे ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद के रणनीतिक माहौल में भारतीय सशस्त्र बलों की संयुक्त युद्ध तत्परता का आकलन किया जा सके। हालांकि यह अभ्यास गुजरात और राजस्थान दोनों में फैला है, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि इसका मुख्य ध्यान कच्छ क्षेत्र पर होगा, जिसे पश्चिमी सीमा पर एक संभावित नए टकराव के बिंदु के रूप में देखा जा रहा है।
