झारखंड : गोरखपुर से पकड़ा गया JSSC-सीजीएल पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड

JPSSC-Gorakhpur

रांची : जेएसएससी–सीजीएल पेपर लीक मामले में महीनों से फरार चल रहा मुख्य आरोपी विनय साह उर्फ हरिहर सिंह आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ गया। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने उसे गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के हनुमंत नगर कॉलोनी से गिरफ्तार किया। विनय पूर्वोत्तर रेलवे के यांत्रिक कारखाना में सेक्शन इंजीनियर था और सरकारी नौकरी की आड़ में लंबे समय से फरारी काट रहा था।
झारखंड क्राइम ब्रांच ने जनवरी 2025 में उसके खिलाफ बीएनएस की गंभीर धाराओं और प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 के तहत मामला दर्ज किया था। फरारी के दौरान वह लगातार ठिकाना बदलता रहा और नेपाली सिम कार्ड का इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन छिपाता रहा। उसकी गिरफ्तारी के बाद रेलवे विभाग में भी हलचल तेज हो गई है।

सूत्रों का कहना है कि झारखंड पुलिस की विशेष टीम लगातार यूपी एसटीएफ के संपर्क में थी। सीओ एसटीएफ धर्मेश शाही के नेतृत्व में टीम कई दिनों से विनय की गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। गुरुवार को उसके यांत्रिक कारखाना क्षेत्र में छिपे होने की सूचना मिली, जिसके बाद घेराबंदी कर उसे पकड़ लिया गया। रांची क्राइम ब्रांच से सत्यापन के बाद उसकी पहचान की पुष्टि हुई।

पूछताछ के दौरान विनय ने कबूल किया कि 22 सितंबर 2024 को आयोजित जेएसएससी–सीजीएल परीक्षा का प्रश्नपत्र उसने मनोज कुमार, शशिभूषण दीक्षित और संदीप त्रिपाठी के साथ मिलकर लीक कराया था। गिरोह ने रांची के जे स्क्योर होटल में इसकी पूरी साजिश रची थी।

परीक्षा से पहले दर्जनों अभ्यर्थियों को मोतिहारी–रक्सौल बॉर्डर के रास्ते नेपाल ले जाकर प्रश्नपत्र रटवाए गए। इसके बदले मनोज ने विनय के खाते में एक लाख रुपये भेजे थे। गिरफ्तारी के समय उसके पास से एक नेपाली और एक भारतीय सिम कार्ड बरामद हुए। अब झारखंड पुलिस ट्रांजिट रिमांड लेकर उसे रांची लाएगी, जहां विस्तृत पूछताछ की जाएगी। विनय मूल रूप से रांची का रहने वाला है और गोरखपुर में नकली पहचान के साथ रह रहा था।

जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी विनय साह की गिरफ्तारी पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। मरांडी ने कहा कि यह गिरफ्तारी कई गंभीर सवाल खड़े करती है और सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कार्रवाई को झारखंड पुलिस और पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता सरकार के दबाव में नहीं कर पाए, उसे यूपी सरकार की एसटीएफ ने अंजाम दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद ही गिरफ्तारी क्यों हुई और राज्य पुलिस एक साल से फरार आरोपी तक क्यों नहीं पहुंच सकी।

मरांडी ने दावा किया कि मामले का मुख्य अभियुक्त अनीश अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व डीजीपी ने कथित रूप से मोटी रकम लेकर उसकी गिरफ्तारी टाल दी, ताकि डिजिटल साक्ष्य नष्ट किए जा सकें। उनका यह भी कहना है कि नेपाल, हजारीबाग और रांची में जिन छात्रों को प्रश्नपत्र रटवाए गए, उनके बयान सरकार के दबाव में बदले जा रहे हैं। उन्होंने सीआईडी टीम को दो बार बदले जाने पर भी सवाल उठाए।

मरांडी ने कहा कि विनय साह ने राष्ट्रीय मीडिया के सामने पूरा खुलासा किया है, इसलिए राज्य सरकार को जांच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके। उन्होंने कहा कि भाजपा बेरोजगार युवाओं की न्याय की लड़ाई में साथ खड़ी रहेगी।