दिल्ली ब्लास्ट : ‘आतंकी डॉक्टर’ के ठिकाने से बरामद हुए चौंकाने वाले सबूत

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नई दिल्ली : दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच कर रही एजेंसियों को अब बड़ा ब्रेकथ्रू हासिल हुआ है। हरियाणा के फरीदाबाद में मुजम्मिल शकील गनी के ठिकाने से ऐसे सुराग मिले हैं, जो बताते हैं कि यहां एक संगठित “व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल” लंबे समय से सक्रिय था। इस मॉड्यूल में सामान्य घरों में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को विस्फोटक तैयार करने के लिए बदला जा रहा था।

सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला मुजम्मिल शकील गनी फरीदाबाद में रहने के दौरान एक आटा चक्की को केमिकल वर्कशॉप की तरह चला रहा था। वह दिल्ली ब्लास्ट केस में सह-आरोपी भी है। पुलिस ने यह चक्की और उससे जुड़ा इलेक्ट्रिकल सेटअप एक टैक्सी ड्राइवर के घर से बरामद किया, जहां मुजम्मिल किराये पर रहता था।

आम तौर पर चक्की का इस्तेमाल अनाज पीसने के लिए होता है, लेकिन इसमें लगे स्टील रोलर और ब्लेड किसी भी सॉलिड मटेरियल को महीन पाउडर में बदल सकते हैं। जांच में सामने आया कि मुजम्मिल इसी मशीन से यूरिया और अन्य केमिकल को पीसकर धमाका तैयार करने वाली सामग्री बना रहा था।

बताया जा रहा है कि धमाके से ठीक एक दिन पहले, 9 नवंबर को, जांच एजेंसियों ने फरीदाबाद के कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री कब्जे में ली थी। इसके अलावा फरीदाबाद के धौज गांव और आसपास के ठिकानों से लगभग 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया है। 
यह साफ संकेत देता है कि मॉड्यूल किसी बहुत बड़े ऑपरेशन की तैयारी में था। खुलासा यह भी हुआ कि विस्फोटक सामग्री का बड़ा हिस्सा एक मौलवी के गुप्त घर में छुपाया गया था, जहां मुजम्मिल ने सिर्फ 1,500 रुपये प्रति माह पर कमरा ले रखा था। एजेंसियों का मानना है कि यही ठिकाना पूरे नेटवर्क का केंद्रीय बिंदु था।

मुजम्मिल शकील पेशे से डॉक्टर था और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से संबद्ध था। जांच एजेंसियों को यहां से उसके कट्टर नेटवर्क और भर्तियों की कहानी जुड़ती नजर आई। जानकारी के अनुसार, उसने कोविड-19 महामारी के बाद यहां जॉइन किया था। इसी दौरान डॉ. उमर उन नबी नाम का एक और इंटर्न भी उसके साथ जुड़ा और वही बाद में i20 कार में विस्फोट करने वाला सुसाइड बॉम्बर बना।

एजेंसियां मान रही हैं कि लाल किला कार ब्लास्ट कोई फौरी घटना नहीं, बल्कि कम से कम दो साल की तैयारी का नतीजा था। आटा चक्की से बम तैयार करना, सस्ते किराये के कमरे में हजारों किलो केमिकल स्टॉक करना और यूनिवर्सिटी कैंपस से नेटवर्क तैयार करना, ये सभी एक सुविचारित प्लानिंग के संकेत हैं। सुरक्षा एजेंसियां इसे ‘व्हाइट-कॉलर टेरर’ की एक खतरनाक नई शक्ल मान रही हैं, जहां डॉक्टर जैसे उच्च-शिक्षित प्रोफेशनल अपने पेशेवर ज्ञान का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में कर रहे हैं।