बेंगलुरु : फर्जी साइबर क्राइम पुलिस बनकर प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों का ऑफिस से अपहरण

Dehradun-Arrest

नई दिल्ली : बेंगलुरु में एक बीपीओ कंपनी के चार मैनेजर स्तर के कर्मचारियों के अपहरण के मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने खुद को साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बताकर कोरमंगला इलाके से शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात BPO के इन चार कर्मचारियों को ‘जांच’ की बात कहकर अपने साथ ले गए, दो गाड़ियों में बिठाकर इन्हें किडनैप कर बेंगलुरु से बाहर मालूर इलाके में ले जाया गया। गिरोह ने कंपनी के ऑपरेशंस मैनेजर के अकाउंट में मौजूद 8.9 लाख रुपये को आरोपियों से जुड़े चार बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद, उन्होंने नकद रकम की भी मांग की।

शनिवार तड़के करीब साढ़े चार बजे पुलिस हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज होने के बाद चार विशेष टीमों का गठन किया गया और अपहरण में इस्तेमाल दो गाड़ियों को जब्त किया गया। गिरफ्तार किए गए ज्यादातर आरोपी कोलार ज़िले के रहने वाले हैं। इनमें से एक आरोपी पुलिस कांस्टेबल बताया जा रहा है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।

मामले की अधिक जानकारी देते हुए बेंगलुरू की डीसीपी साउथ ईस्ट सारा फ़ातिमा ने कहा कि 112 पर कॉल आने के बाद किडनैपिंग का एक केस दर्ज किया गया। यह घटना शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात  करीब 1 बजे, कोरमंगला पुलिस स्टेशन लिमिट्स में मौजूद ग्लोबल टेलीकॉम कनेक्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम के एक BPO कॉल सेंटर में हुई। उस समय चार मैनेजर लेवल के कर्मचारी ड्यूटी पर थे।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि करीब आठ लोग कॉल सेंटर में घुसे, पुलिस ऑफिसर बनकर स्टाफ से बात की। डिटेल्स मांगने के बहाने वे उन्हें बाहर ले गए और किडनैप कर लिया। बाद में उन्होंने पीड़ितों से पैसे मांगे।

 किडनैप किए गए कर्मचारियों में से एक, ऑपरेशन मैनेजर ने अपने अकाउंट से इंटरनेट बैंकिंग के ज़रिए आरोपियों के रिश्तेदारों के चार अलग-अलग बैंक अकाउंट में करीब 8.9 लाख रुपये ट्रांसफर किए। किडनैपर और कैश भी मांग रहे थे।

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘तड़के करीब 4 बजे हमें पुलिस इमरजेंसी हेल्पलाइन 112 पर एक शिकायत मिली, हमने चार पुलिस टीमें बनाईं और संदिग्धों को ट्रैक करना शुरू किया। किडनैपिंग में शामिल 8 लोगों को अब गिरफ्तार कर लिया गया है। क्राइम में इस्तेमाल की गई दो गाड़ियां ज़ब्त कर ली गई हैं।’

पुलिस अधिकारी ने कहा कि फिरौती की कोई तय रकम नहीं थी। वे ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठने की कोशिश कर रहे थे।  क्योंकि एक विक्टिम के अकाउंट में काफी पैसे थे, इसलिए उन्होंने जबरदस्ती वह रकम ट्रांसफर कर दी और और कैश की मांग करते रहे।

साउथ डीसीपी ने कहा, ‘जब उन्होंने कैश डिलीवर करने के बारे में इंस्ट्रक्शन देना शुरू किया और बार-बार फ़ोन किया, तो हमने उन्हें ट्रैक किया और कैश हैंडओवर करने से पहले ही उन्हें पकड़ लिया। आरोपी और विक्टिम एक-दूसरे को नहीं जानते थे। ज़्यादातर अरेस्ट किए गए लोग कोलार ज़िले के हैं और अलग-अलग काम करते हैं। सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया गया है। उन्हें कल कोर्ट में पेश किया जाएगा। हम आगे की जांच के लिए पुलिस कस्टडी मांगेंगे।’