गुजरात :  विदेश में नौकरी का झांसा देकर साइबर गुलामी में धकेलने वाली महिला गिरफ्तार

Dehradun-Arrest

अहमदाबाद : गुजरात पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साइबर गुलामी रैकेट से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए वडोदरा की एक महिला को गिरफ्तार किया है। यह नेटवर्क युवाओं को उच्च वेतन वाली विदेशी नौकरियों का झांसा देकर म्यांमार, थाईलैंड और कंबोडिया भेजता था, जहां उन्हें साइबर अपराध करवाने के लिए अवैध रूप से बंदी बनाकर रखा जाता था।

गिरफ्तार महिला, पायल चौहान, वडोदरा के गोरवा इलाके की रहने वाली है और जांच में उसके सीधे संबंध इस रैकेट के मुख्य सरगना नील उर्फ नीलेश पुरोहित से सामने आए हैं। पुरोहित को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था। चौहान कथित तौर पर उसका सब-एजेंट थी और गुजरात के कई युवाओं को फंसाने का काम करती थी।

सीआईडी-क्राइम के अनुसार, यह गिरोह थाईलैंड और म्यांमार में डाटा एंट्री या हाई-पेइंग जॉब का लालच देकर पीड़ितों को विदेश भेजता था। एयरपोर्ट पहुंचते ही लोगों को चीनी साइबर अपराध सिंडिकेट से जुड़े एजेंटों के हवाले कर दिया जाता था। इस तस्करी में पाकिस्तानी एजेंट भी शामिल थे। पीड़ितों के पासपोर्ट, फोन और पहचान दस्तावेज तुरंत छीन लिए जाते थे और उन्हें अवैध रास्तों से सीमा पार कराकर म्यांमार के कुख्यात केके पार्क जैसे साइबर अपराध केंद्रों में पहुंचाया जाता था।

पायल चौहान की गिरफ्तारी के साथ इस केस में पकड़े गए आरोपियों की संख्या बढ़कर कम से कम छह हो गई है। इससे पहले पुख्ता सबूतों के आधार पर हितेश सोमैया, सोनल फलदू, भावदीप जाडेजा, हरदीप जाडेजा और मुख्य सरगना नील पुरोहित को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

महीनों तक बंदी बनाकर रखे गए पीड़ितों को फिशिंग स्कैम, क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड, पोंजी स्कीम, ऑनलाइन डेटिंग धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल अपराध करने को मजबूर किया जाता था। पुलिस के अनुसार, लक्ष्यों को पूरा न करने पर उनका शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना और लंबे समय तक बंदी बनाकर रखा जाना आम बात थी।

भारत, थाईलैंड और म्यांमार के अधिकारियों की संयुक्त कार्रवाई से पिछले तीन वर्षों में ऐसे कैंपों में फंसे करीब 4,000 भारतीयों को छुड़ाया जा चुका है। कई पीड़ितों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें नील पुरोहित और उसके सब-एजेंटों, जिनमें पायल चौहान भी शामिल है, ने ही फंसाया था।

चौहान के फोन से पाकिस्तानी और नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट की तस्वीरें मिली हैं। वह न सिर्फ साइबर गुलामी रैकेट में शामिल थी, बल्कि ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी, ‘म्यूल’ बैंक खातों की आपूर्ति और अवैध क्रिप्टो लेन-देन में भी सक्रिय थी। पुलिस के अनुसार, वह दुबई और गोवा से संचालित होने वाले ऑनलाइन गेमिंग नेटवर्क के मास्टर आईडी भी संभालती थी।