पाकिस्तान : संविधान संशोधन के बाद असीम मुनीर को सौंपी गई तीनों सेनाओं और परमाणु केंद्र की कमान

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नई दिल्ली : पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर को गुरुवार को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) नियुक्त कर दिया गया। विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के लागू होते ही मुनीर अब थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर बन गए हैं। साथ ही पाकिस्तान के पूरे परमाणु हथियार कार्यक्रम का एकमात्र नियंत्रण भी उनके हाथ में आ गया है।

इस संशोधन ने 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा बनाए गए चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के पद को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। मौजूदा सीजेसीएससी जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

कार्यकाल 2030 तक सुरक्षित, आजीवन कानूनी छूट : सीडीएफ का कार्यकाल तयशुदा पांच वर्ष का है। इसके चलते मुनीर का कार्यकाल, जो पहले 27 नवंबर 2027 को खत्म होना था, अब कम से कम नवंबर 2030 तक बढ़ गया है। उन्हें राष्ट्रपति के बराबर आजीवन कानूनी उन्मुक्ति दे दी गई है। वायुसेना और नौसेना प्रमुखों को भी यही सुरक्षा मिली है।

परमाणु कमान पर पूरा कब्जा : परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड (एनएससी) के कमांडर की नियुक्ति अब सीडीएफ की सलाह पर सेना से ही होगी। तीनों सेनाओं का समग्र नियंत्रण राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल से छीनकर सीडीएफ के पास आ गया है।

वीसीओएएस की नियुक्ति में भी दखल : वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (वीसीओएएस) की नियुक्ति का प्रस्ताव अब सीडीएफ देगा; सरकार केवल औपचारिक मंजूरी देगी। पहले यह अधिकार पूरी तरह का अधिकार नागरिक सरकार के पास था।‘पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली शख्स’रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और रक्षा विश्लेषक नईम खालिद लोधी ने कहा, “फील्ड मार्शल असीम मुनीर आज पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं। राजनेताओं ने अपने छोटे-मोटे फायदों के लिए देश के भविष्य को दांव पर लगा दिया।”

मुनीर को अब मुशर्रफ के बराबर ताकत : विशेषज्ञों का कहना है कि मुनीर को अब उतनी ही ताकत हासिल हो गई है, जितनी 1999 में तख्तापलट करने वाले जनरल परवेज मुशर्रफ के पास थी। मुनीर के पास अब एक आज्ञाकारी प्रधानमंत्री और सेना की पूरी संरचना बदलने का अधिकार है। नवंबर 2022 में सेना प्रमुख बने मुनीर इससे पहले आईएसआई प्रमुख और डायरेक्टर जनरल मिलिट्री इंटेलिजेंस रह चुके हैं। इस साल मई में भारत के साथ चार दिन की सैन्य झड़प के बाद उन्हें फील्ड मार्शल का आजीवन दर्जा दिया गया था। पाकिस्तान अब बिना किसी प्रत्यक्ष सैन्य तख्तापलट के अपने इतिहास के सबसे शक्तिशाली सैन्य दौर में प्रवेश कर चुका है।