बिहार : पकड़ा गया ‘अंकल जी’, NIA के हाथ लगा उत्तर भारत का सबसे बड़ा हथियार तस्कर

nia-arrest-illegal-arms-trafficker

पटना : अवैध हथियार और गोला-बारूद तस्करी के मामले में बड़ी गिरफ्तारी हुई है. एनआईए ने उत्तर भारत का सबसे बड़ा हथियार तस्कर पकड़ा है, जो कि बिहार से शुरू होकर उत्तर भारत के कई राज्यों तक फैले अवैध हथियार और गोला-बारूद तस्करी मामले में मुख्य आरोपी है. आरोपी की पहचान कमलकांत वर्मा उर्फ अंकल जी के रूप में हुई है. वो बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला है.

यह केस RC-01/2025/NIA/PAT में अब तक की 11वीं गिरफ्तारी है. NIA की जांच में सामने आया है कि कमलकांत वर्मा इस पूरे नेटवर्क में बड़ी भूमिका निभा रहा था. वह हरियाणा और अन्य जगहों के अलग-अलग गन हाउस से अवैध तरीके से गोला-बारूद हासिल करता था. इसके बाद यह गोला-बारूद उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार और देश के अन्य हिस्सों में पहुंचाया जाता था.

NIA ने 4 दिसंबर को 23 ठिकानों पर की थी छापेमारी : कमलकांत की गिरफ्तारी कुछ ही दिनों बाद हुई है, जब NIA ने 4 दिसंबर को उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में 23 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इन छापों के दौरान रवि रंजन, शशि प्रकाश, विजय कालरा और कुश कालरा नाम के चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए थे.

एनआईए का कहना है कि यह गिरफ्तारी उत्तर भारत में अवैध हथियार और गोला-बारूद की सप्लाई चेन को तोड़ने की दिशा में एक अहम कदम है. मामले की जांच आगे भी जारी है.उधर, एनआईए ने बीते दिन रामलिंगम हत्याकांड में छठा फरार आरोपी गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही हत्याकांड में एक और शरण देने वाले को भी पकड़ा.

फरवरी 2019 में हुई थी रामलिंगम की हत्या : तमिलनाडु के तंजावुर जिले के मोहम्मद अली जिन्ना को पीओ घोषित किया गया था. उसकी गिरफ्तारी पर 5 लाख रुपये का इनाम भी था. 5 फरवरी 2019 को तंजावुर में रामलिंगम की कथित तौर पर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों ने हत्या कर दी थी. NIA की जांच में पीएफआई तंजावुर जिले के पूर्व जिला अध्यक्ष जिन्ना की इस क्रूर हत्या में साजिश रचने, निगरानी करने और अन्य आरोपियों के साथ तालमेल बिठाने में भूमिका का पता चला है.

इससे ठीक पांच दिन पहले एनआईए ने मामले RC-06/2019/NIA/DLI में दो और फरार अपराधियों और तीन अन्य शरण देने वालों को गिरफ्तार किया था. एजेंसी ने 7 मार्च 2019 को तिरुविदैमरुथुर पुलिस से जांच अपने हाथ में ली थी. अगस्त 2019 में चार्जशीट दायर की थी.